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युद्ध विराम पर नक्सलियों में दो फाड़, तेलंगाना के संगठन ने BJP को बताया जनविरोधी

September 20, 2025

रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में युद्ध विराम का सरकार से आग्रह करने के मामले में नक्सल संगठन (Naxalite organization) में दो फाड़ होता दिख रहा है। अब तेलंगाना राज्य कमेटी (Telangana State Committee) ने प्रेस नोट जारी कर कहा है कि हथियार डालने और शांतिवार्ता की बात केंद्रीय कमेटी प्रवक्ता अभय की निजी राय है। तेलंगाना राज्य कमेटी की ओर से जारी प्रेस नोट के मुताबिक माओवादी संगठन ने युद्ध विराम या सरेंडर से इनकार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को जनविरोधी बताया है।


तेलंगाना राज्य कमेटी की ओर से जारी प्रेस नोट के बाद यह साफ हो गया है कि नक्सल संगठन में फूट पड़ गई है। यह भी साफ हो गया है कि छत्तीसगढ़ में जिस तरह से पुलिस और सुरक्षाबलों का एक्शन चल रहा है, उससे छत्तीसगढ़ के सक्रिय नक्सल संगठन के सदस्यों में भय और दहशत का माहौल है।

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने की डेडलाइन तय की गई है। वहीं छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों के दो दिन पहले जारी लेटर पर कहा था कि पहले लेटर का परीक्षण करेंगे। उसके बाद ही आगे कुछ कह पाएंगे। इसे पहले विजय शर्मा ने कहा था कि नक्सलियों से कोई बात नहीं होगी। पहले वे हथियार छोड़कर सरेंडर करे।

तेलंगाना राज्य कमेटी ने पत्र में यह कहा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) तेलंगाना राज्य समिति ने लिखा कि केंद्रीय समिति के आधिकारिक प्रवक्ता कॉमरेड सोनू द्वारा अभय के नाम पर अस्थायी युद्ध विराम की घोषणा सोनू की निजी राय है, न कि पार्टी का निर्णय। केंद्र की भाजपा सरकार लंबे समय से क्रांतिकारी आंदोलन को खत्म करने की योजना बना रही है और उसे लागू कर रही है।

जनवरी 2024 से बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर जनता को खत्म करने का कार्यक्रम जारी रखे हुए है। मार्च 2025 में कुछ लोकतांत्रिक बुद्धिजीवियों ने एक शांति वार्ता समिति का गठन किया और प्रस्ताव रखा कि सरकार और माओवादी पार्टी के बीच शांति वार्ता की जाए। उस प्रस्ताव के जवाब में केंद्रीय समिति ने स्थिति स्पष्ट की और घोषणा की कि सुरक्षाबलों के नए शिविरों का निर्माण रोका जाए और शांतिपूर्ण माहौल में वार्ता की जाए।

भाजपा सरकार ने हमारे खिलाफ युद्ध छेड़ा
नक्सलियों ने लेटर में लिखा कि केंद्र सरकार बिना किसी ढील के अपना युद्ध अभियान जारी रखते हुए खून-खराबा कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री बार-बार घोषणा कर रहे हैं कि वे मार्च 2026 तक माओवाद का सफाया कर देंगे। दूसरी ओर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में जन संगठन ऑपरेशन कगार को रोकने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

देशभर के कई बुद्धिजीवियों, संगठनों और मशहूर हस्तियों ने युद्ध रोकने की अपील की है। इस मुद्दे पर अन्य राज्यों में भी कुछ जगहों पर बैठकें हुई हैं। सभी राजनीतिक दल कगार युद्ध को रोकने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन भाजपा नेतृत्व ऑपरेशन को जारी रखने की घोषणा कर रहा है।

पत्र में बड़े नक्सल लीडर्स के मारे जाने का जिक्र
नक्सलियों ने पत्र में 21 मई को पार्टी महासचिव के साथ वाली टीम पर हमला की बात कही है। इसमें महासचिव समेत 28 साथी शहीद हो गए। जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में हुई घटनाओं में केंद्रीय कमेटी सदस्य उदय उर्फ गजरला रवि, मोडेम बालकृष्ण, प्रवेश सोरेन (झारखंड) आदि शहीद हुए।

राज्य कमेटी सदस्य गौतम, भास्कर, अरुणा, जगन उर्फ पंडना, पांडु उर्फ चंद्रहास आदि शहीद हुए। कुछ और जिला कमेटी और एरिया कमेटी सदस्य भी शहीद हुए। इन परिस्थितियों में कुछ राज्य कमेटी सदस्यों और निचले स्तर के कमेटी सदस्यों ने स्वास्थ्य समस्याओं के कारण पार्टी की अनुमति से आत्मसमर्पण कर दिया।

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