
नई दिल्ली। चुनाव आयोग (election Commission) ने बिहार में जो वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) शुरू किया है, उसका तकरीबन 88% काम सोमवार को ही पूरा हो चुका है। इस बीच NDA खेमे की टीडीपी ने एक तरह के विरोधात्मक लहजे में आयोग के कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं। TDP ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराने के तरीके पर चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है। इसमें टीडीपी ने कहा है कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन बड़े चुनाव के 6 महीने से पहले हो जाना चाहिए। इसके अलावा यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसका नागरिकता प्रमाण से लेना-देना नहीं, जब तक किसी खास केस की शिकायत हो।
इसमें बिहार का नाम नहीं लिया गया लेकिन जिस तरह से बिहार में SIR हो रहा है, NDA में बीजेपी की एक बड़े सहयोगी घटक दल को उससे ऐतराज है। टीडीपी संसदीय दल के नेता लावु श्री कृष्ण देवरायलु ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर आयोग से विशेष गहन पुनरीक्षण पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उनके अनुसार, आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह किस उद्देश्य से किया जा रहा है। पत्र में, उन्होंने कहा है, “इस स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट किया जाना चाहिए और यह केवल मतदाता सूची में संशोधन तक ही सीमित होना चाहिए।”
टीडीपी सांसद कृष्ण देवरायलु ने कहा कि अगर 2029 के चुनावों के लिए आंध्र प्रदेश में SIR शुरू किया जाना है तो इसे तुरंत करें ताकि वोटर्स के पास पर्याप्त समय हो। उन्होंने आगे कहा कि आंध्र प्रदेश में 2029 तक विधानसभा चुनाव नहीं होने हैं, इसलिए टीडीपी का मानना है कि अगर भविष्य में वहां भी इसकी जरूरत हो तो इसे जल्द शुरू की जाए ताकि वोटर्स के पास इसके लिए पर्याप्त समय हो।
बता दें कि बिहार में SIR को लेकर सियासत गरम है। विवाद इसलिए है क्योंकि इसे बिहार विधानसभा से ठीक पहले कराया जा रहा है। यह प्रक्रिया 2003 के बाद राज्य में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हो रही है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि SIR एक साजिश है। इसका उद्देश्य गरीब, दलित, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के मताधिकार को छीनना है। विपक्षी दलों का ये भी कहना है कि SIR की प्रक्रिया NRC को अप्रत्यक्ष रूप से लागू करने का प्रयास है, क्योंकि इसमें नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं।
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