
नई दिल्ली। देश के 30 हजार से अधिक छोटे और मझोले स्तर (small and medium scale) के ब्रांड फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) (Brand Fast Moving Consumer Goods (FMCG)) क्षेत्र की वस्तुओं, सौंदर्य प्रसाधन और उपभोक्ता आदि क्षेत्रों के बड़े हिस्से की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) के सर्वे में यह जानकारी सामने आई है।
कारोबारियों के संगठन कैट की रिसर्च विंग कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी के जारी एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 30 हजार से अधिक छोटे और मंझोले ब्रांड देश में 80 फीसदी आबादी की जरूरतें पूरा कर रहे हैं। कैट ने जिन क्षेत्रों में यह सर्वेक्षण किया है, उनमें खाद्यान्न, तेल, किराना, व्यक्तिगत सौंदर्य प्रसाधन, अंत: वस्त्र, रेडीमेड परिधान, सौंदर्य और शरीर की देखभाल के उत्पाद, जूते, खिलौने, शैक्षिक खेल और स्वास्थ्य देखभाल के उत्पाद शामिल हैं।
कैट ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि यह एक भ्रांति है कि बड़े कॉरपोरेट घरानों के करीब 3 हजार बड़े ब्रांड विशेष रूप से एफएमसीजी क्षेत्र, उपभोक्ता वस्तुओं और सौंदर्य प्रसाधन आदि क्षेत्रों में देश के लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। इसके उलट सच्चाई यह है कि देश के हर हिस्से में फैले 30 हजार से अधिक छोटे और मध्यम, लेकिन क्षेत्रीय स्तर के ब्रांड भारत के लोगों की मांग को पूरा कर रहे हैं। इन उत्पादकों के उत्पाद आम तौर पर खुले में बिकते हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि व्यापक मीडिया और बाहरी प्रचार एवं मशहूर हस्तियों के विज्ञापनों के कारण उच्च वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के लोगों का रुझान कॉरपोरेट ब्रांड पर रहता है। वहीं, छोटे एवं स्थानीय निर्माताओं के ब्रांड व्यापारियों के अपने ग्राहकों से सीधे संपर्क तथा मौखिक प्रचार के जरिए बेचे जाते हैं। खंडेलवाल ने कहा कि 3 हजार कॉर्पोरेट ब्रांड देश की करीब 20 फीसदी लोगों की जरूरतें पूरा करते हैं, जबकि 30 हजार से अधिक छोटे और मध्यम ब्रांड देश के बाकी 80 फीसदी लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। इनमें छोटे और स्थानीय निर्माताओं के उत्पाद शामिल हैं। (एजेंसी, हि.स.)
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