
नई दिल्ली: भारत (India) ने एक बड़ी छलांग लगाते हुए अपने पहले स्वदेशी (Indigenous) पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट (Stealth Fighter Jet) के विकास का रास्ता साफ कर दिया है. इस कदम से भारत अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों की उस बेहद खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं. मई 2025 तक यह सूची केवल तीन देशों तक सीमित है-अमेरिका (F-22, F-35), चीन (J-20) और रूस (Su-57). अब भारत चौथा देश बनने की राह पर है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट के ‘एक्जिक्यूशन मॉडल’ को मंजूरी दे दी. इसे बेंगलुरु की एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) वैश्विक उद्योग सहयोगियों के साथ मिलकर वायुसेना और नौसेना के लिए विकसित करेगी. इस प्रोजेक्ट पर शुरुआती खर्च 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा और विमान 2035 तक डिलीवर होने की उम्मीद है.
AMCA एक सिंगल-सीट, ट्विन-इंजन लड़ाकू विमान होगा, जिसमें एडवांस्ड स्टेल्थ कोटिंग्स और इंटरनल वेपन बे होंगे, जैसे अमेरिकी और रूसी विमान (F-22, F-35 और Su-57) में होते हैं. यह विमान 55,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेगा और आंतरिक बे में 1,500 किलो हथियार ले जाएगा. बाहरी हिस्सों पर 5,500 किलो और 6,500 किलो अतिरिक्त ईंधन भी ले जाने की क्षमता होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विमान के दो वर्जन होंगे. पहला अमेरिकी GE F414 इंजन से चलेगा, जबकि दूसरे वर्जन में भारत का खुद का विकसित इंजन लगाया जाएगा, जो इससे ज्यादा ताकतवर हो सकता है.
AMCA को सुपरमैन्युवरेबल और मल्टीरोल दोनों कैटेगरी में डिजाइन किया जा रहा है. सुपरमैन्युवरेबल का मतलब है कि यह पारंपरिक तकनीकों (जैसे ailerons, rudders आदि) से परे जाकर तेज और जटिल दिशा बदलने में सक्षम होगा. स्टेल्थ यानी इसे रडार और अन्य डिटेक्शन सिस्टम से ट्रैक करना बेहद मुश्किल होगा. वहीं मल्टीरोल का मतलब है कि यह विमान हवाई वर्चस्व, ग्राउंड स्ट्राइक और दुश्मन की एयर डिफेंस को नष्ट करने जैसे कई मिशन पूरे कर सकेगा.
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की कोई तय परिभाषा नहीं है, लेकिन इनका आधार 21वीं सदी की हाई-टेक तकनीक है. इनमें एडवांस बैटलफील्ड सॉफ़्टवेयर होता है, जो पायलट को दुश्मन की गतिविधियों और युद्धक्षेत्र की रीयल-टाइम जानकारी देता है. इन विमानों में लो-प्रोबेबिलिटी-ऑफ-इंटरसेप्ट रडार और नेटवर्किंग सिस्टम भी होते हैं, जिससे यह ‘फ्रेंडली’ यूनिट्स से जुड़े रहकर बेहतर C3 (कंट्रोल, कमांड और कम्युनिकेशन) क्षमता दिखा सकते हैं.
वर्तमान में अमेरिका के पास F-22 और F-35, रूस के पास Su-57 और चीन के पास J-20 है. इनमें से F-22 ‘Raptor’ को कभी सबसे घातक फाइटर कहा जाता था. हालांकि, ओबामा प्रशासन ने इसे 2008 में बंद करने की सोची थी, लेकिन रूस और चीन की सैन्य तैयारी देखकर इसे दोबारा सक्रिय किया गया. अमेरिका का F-35 आज की तारीख में सबसे आधुनिक और सबसे महंगा लड़ाकू विमान है, जिसकी लागत 1.7 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा आंकी गई है. इसे भारत को ऑफर भी किया गया है. इसी तरह रूस का Su-57 भी भारत को प्रस्तावित है.
AMCA प्रोजेक्ट भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें सेना को आधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस किया जा रहा है. हाल ही में भारत ने 63,000 करोड़ रुपये की डील कर 26 Rafale-M लड़ाकू विमान खरीदे हैं, जो 2031 तक मिलेंगे और नौसेना के पुराने MiG-29K को रिप्लेस करेंगे. वायुसेना के पास पहले से 36 Rafale-C हैं. इसके अलावा, पिछले दशक में भारत ने स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, युद्धपोत और पनडुब्बियां बनाई हैं और हाइपरसोनिक मिसाइलों का सफल परीक्षण भी किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2033 तक घरेलू रक्षा उत्पादन में 100 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है, ताकि “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा मिले और रक्षा निर्यात भी बढ़े.
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