
- एक बार के ही पार्षद कार्यकाल में बता दिया जनता के काम कैसे होते हैं-उत्तर क्षेत्र के मतदाता चाहते हैं कि रेखा ओरा को मिले विधानसभा के लिए अवसर
उज्जैन। कहने को तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से उज्जैन उत्तर विधानसभा क्षेत्र में अनेक दावेदार हैं लेकिन लंबे समय से अपनी ही सरकार और अपनी ही नगर निगम होने के कारण सड़कों पर उतरकर जनता के लिए संघर्ष करने वाले जुझारू नेता पार्टी के पास कम ही हैं । जब 20 वर्षों में से अधिकांश समय विधानसभा और नगर निगम दोनों में पार्टी का बहुमत रहा तो सड़क पर संघर्ष करें भी तो किसके खिलाफ ? लेकिन एक अपवाद भाजपा के पास है श्रीमती रेखा ओरा ! 20 वर्ष पहले पार्षद चुने जाने के दौरान उन्होंने वह संघर्ष किया कि जनता आज भी याद करती है। भीषण जलसंकट के दौर में उन्होंने दो बार चक्काजाम किया और दोनों ही बार उन पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। अपनी ही सरकार के विरोध में नगर निगम की एक बड़ी संपत्ति को बचाने के लिए निर्णय के विरोध में गईं और जीत हासिल की। जन सहयोग से चौड़ीकरण का काम हाथ में लिया और बिना विवाद अंजाम तक पहुंचाया। आगे भी उनका दावा है कि यदि पार्टी ने विधानसभा का उम्मीदवार बनाया तो शहर में ऐसे काम कराए जाएंगे जो स्थाई होंगे। उनका कहना है शहर में 5 किलोमीटर के क्षेत्र में एक भी मांस और मदिरा की दुकान नहीं होगी। शहर में आने वाले श्रद्धालु यहां 2 दिनों तक रुकें और रोजगार बढ़े इसके पुख्ता काम होंगे। शिप्राजी के दोनों ओर रिवर फ्रंट कॉरिडोर की महत्वाकांक्षी योजना पर ठोस काम किया जाएगा। अग्निबाण ने जनता की अदालत में उनसे सवाल पूछे। अब पाठकों के हाथ में है उनके उत्तरों का आकलन करना।
- प्रश्न : आप केवल एक बार शहर में पार्षद रहीं, जिसके आधार पर आप विधानसभा की दावेदारी कर रहीं हैं । यदि इतना लोकप्रिय थीं तो पार्टी ने दूसरी बार पार्षद टिकट क्यों नहीं दिया ?
उत्तर : मैं गलत बात का नगर निगम में विरोध करती थी और भूमाफिया के खिलाफ लड़ती थी। अपनी सरकार में मैं दो बार सड़क पर उतरी और पुलिस ने मुझ पर प्रकरण दर्ज कर लिए। ऐसे में वरिष्ठों को लगने लगा कि मैं उनके लिए खतरा बन जाऊंगी। इस आंतरिक राजनीति के कारण सबने मिलकर हर बार मेरा टिकट काट दिया। - प्रश्न : जब दूसरी बार पार्षद नहीं चुना गया तो विधानसभा के लिए पार्टी कैसे चुन लेगी ?
उत्तर : नगर निगम के टिकट बांटना स्थानीय नेतृत्व के पास होता है लेकिन विधानसभा के टिकट ऊपर से तय होते हैं। जनता के सर्वे में मेरा नाम जाएगा तो अवश्य सही निर्णय होगा। - प्रश्न : एक ही कार्यकाल में ऐसी क्या उपलब्धियां रही हैं आपकी ?
उत्तर : मैं वार्ड नंबर 23 की पार्षद थी जो शहर का सबसे व्यस्त व्यापारिक क्षेत्र है। पुराना शहर होने के नाते छोटी-छोटी गलियां हैं। 2008 में वहां भीषण जल संकट पड़ा तो मैंने बोहरा बाखल और भागसीपुरा में ही 2 हाइड्रेंट बनवाएं और गली-गली में पाइपलाइन बिछाई । छोटे-छोटे टैंकर से मुख्य सड़कों पर पेयजल वितरित करवाया। इससे लोगों को राहत मिली। पूरी 35 छोटी गलियों जिनमें नागचंद्रेश्वर भागसीपुरा , 56 भेरु, नागनाथ की गली, नीमा गली आती हैं ,सब में पानी पहुंचाया। इसी दौरान इन गलियों में नाली पीछे की तरफ बनाकर गलियों को चौड़ा किया गया। एक बार भी किसी व्यापारी का नगर निगमकर्मियों से विवाद नहीं हुआ । सब कुछ सहमति से किया गया। पुराने नगर निगम और रीगल टॉकीज की 44 हजार वर्गफीट भूमि एक कंपनी को बाले-बाले बेच देने के नगर निगम के निर्णय को मुख्यमंत्री से शिकायत कर निरस्त करवाया। इससे नगर निगम को 300 करोड रुपए की चपत लगने से बच गई।गंदा पानी वितरित होने की शिकायत पर पुरानी पाइप लाइन खुदवाकर नई डलवाई और अधिकारियों को केमिकल चोरी रोकने के लिए आगाह किया। यह मुख्य काम है जो जनता के सामने उदाहरण बन गए। - प्रश्न : पार्टी ने टिकट दिया तो अब कैसे आंतरिक राजनीति से पार पाएंगी ?उत्तर : मैं रतलाम के स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हूं। ससुराल भी राष्ट्रीय सेवक संघ की पृष्ठभूमि से है, इसलिए मैंने सदैव गलत को गलत कहना सीखा है। भ्रष्टाचार से पैसा कमाने की बजाय उद्योग तथा व्यवसाय से धन कमाने की परंपरा रही है। नगरनिगम के भ्रष्टाचार के विरोध में बोलने के कारण विरोध होता रहा लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं है। सभी से सामंजस्य है। इतने वर्षों में वरिष्ठ भी समझ गए हैं कि यह बोल रही है मतलब अवश्य ही कोई गड़बड़ी रही होगी। इसलिए अब वह भी उत्साह बढ़ाते हैं।
- प्रश्न : उज्जैन के विकास की क्या योजना आपके पास है ?
उत्तर : उज्जैन के विकास का केंद्र केवल महाकाल मंदिर और शिप्राजी हैं । मुझे यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि भाजपा सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद शिप्राजी का शुद्धिकरण नहीं हो पा रहा है। आज भी गंदगी मिलती रहती है और श्रद्धालु उसी में आचमन करते हैं। इसलिए किसी भी तरह शिप्राजी में नाले मिलने से रोककर उसमें निरंतर स्वच्छ जल प्रवाहित किए जाने से शिप्राजी सदा प्रवाहमान और स्वच्छ रहे, यह प्राथमिकता है। दूसरा उज्जैन में दर्शनार्थी दो दिनों तक रुकें इससे हर तरह का कारोबार बढ़ेगा । अभी लोग उज्जैन में 4 घंटे से अधिक नहीं रुकते और बाहर चले जाते हैं। - प्रश्न : खुलकर बताइए, क्या करेंगी इस दिशा में ?
उत्तर : आरंभिक तौर पर अभी यही कहा जा सकता है कि अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट कॉरिडोर की तरह नानाखेड़ा से मंगलनाथ मंदिर तक शिप्राजी के दोनों किनारों पर फोरलेन सड़क बनाई जाए, जिसमें पर्याप्त संख्या में फ्लायओवर, पर्यटन स्थल और नागरिक सुविधा केंद्र हों । क्षेत्र को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए विकसित किए जाने से आकर्षण बढ़ेगा। बड़े म्यूजिकल फाउंटेन, मॉल आदि गुजरात की तर्ज पर बनाए जाने से व्यवसायिक गतिविधियां भी शिप्रा के किनारों पर संचालित हो सकेंगी जो अभी एक ही क्षेत्र में सीमित हैं। - प्रश्न : आप महाकाल को शहर के विकास का केंद्र मानती हैं, जबकि महाकाल मंदिर में अनेक शुल्क को श्रद्धालुओं के विरोध में बताकर कांग्रेस आंदोलन कर रही है।
उत्तर : कांग्रेस का विरोध अव्यवहारिक है । हमें व्यवहारिकता से तालमेल बनाना होगा। सोमनाथ जी, काशी विश्वनाथ, तिरुपति बालाजी, सांवरिया जी कहीं भी यदि अधिक शुल्क नहीं है तो हमें भी न्यायसंगत बात करना चाहिए। गर्भगृह में दर्शन के 750 की जगह 250 लिए जाने उचित होंगे। शीघ्र दर्शन शुल्क श्रद्धालुओं तथा रखरखाव के खर्च जुटाने, दोनों दृष्टि से आवश्यक है। - प्रश्न : पवित्र नगरी को लेकर समय-समय पर मांग उठाई जाती रही है। आपका क्या संकल्प है ?
उत्तर : शहर की 5 किलोमीटर की परिधि में एक भी स्थान पर मदिरा और मांस दोनों की बिक्री नहीं होनी चाहिए । इसके लिए मेरे विधायक बनने पर मुझे जो करना होगा अपने तरीके से करूंगी। लेकिन इतना अवश्य कह सकती हूं कि हम उज्जैन को अयोध्याजी की तरह पवित्र बनाएंगे। - प्रश्न : ट्रैफिक जाम भी उज्जैन उत्तर की बड़ी समस्या बन गई है।
उत्तर : ट्रैफिक को लेकर उज्जैन प्रशासन और जनप्रतिनिधि मिलकर प्रयास कर रहे हैं। शीघ्र ही एक बड़ा क्षेत्र नो व्हीकल जोन होने के बाद इसका असर दिखेगा। कई बार योजनाओं को आकार लेने में समय लगता है। - प्रश्न : शिप्राजी में लगातार श्रद्धालुओं की मौत हो रही है। ऐसी घटनाएं आपको विचलित नहीं करतीं ?
उत्तर : मैंने बहुत पहले सुझाव दिया था कि हरिद्वार की तरह घाट पर 20 मीटर दूर तक नीचे कंक्रीट का बेस बनाया जाए और वहां मजबूत चैन की बेरीकेटिंग की जाए। इससे कोई भी श्रद्धालु अचानक गहरे पानी में जाने से बच सकता है। हर श्रद्धालु का जीवन कीमती है यह समझकर काम होना चाहिए।
इस तरह लगाई अफसरशाही पर लगाम
2008 में शहर ने भीषण जल संकट झेला। चार-चार दिनों में नलों से पेयजल वितरित होता था। भागसीपुरा और बोहराबाखल में हाइड्रेंट बनाने के लिए चक्का जाम कर दिया । दर्द हुआ लेकिन जल संकट के समाधान के लिए अधिकारी हरकत में आए और नियमित पेयजल वितरण होने लगा। लेकिन जब पेयजल वितरित होता उसी समय विद्युत कटौती शुरू हो जाती थी। श्रीमती ओरा बतातीं हैं कि एक दिन मैंने रहवासियों के साथ विद्युत कंपनी के नई सड़क कार्यालय पर चक्काजाम कर दिया तो शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज कर दिया गया। उसके बाद बिजली कंपनी ने कटौती बंद कर दी और लोगों को राहत मिली । उसी समय पाइप लाइन से मटमैला पानी आने पर मैं नगर निगम के सदन में बोतल भर कर ले गई और वहां मौजूद अधिकारियों से कहा यह पानी पीकर दिखाइए । अधिकारियों ने क्षेत्र की पाइप लाइन चेक करवाई तो पता चला लाईन बरसों से नहीं बदली गई है और अनेक जगहों से फूटने से नाली का पानी घरों तक जाता है। उसी समय काम शुरू हुआ।
- प्रश्न : जलसंकट शहर की स्थाई समस्या बन गई है? आपने तो इस दिशा में सूझबूझ से काम किया है। आपका क्या कदम होगा ?
उत्तर : अब केवल गंभीर बांध के भरोसे नहीं रहा जा सकता। सेवरखेड़ी में बांध की पुरानी योजना को लागू किया जाना चाहिए अन्यथा दिसंबर आने के साथ ही जल संकट की आहट सुनाई देती रहेगी। अगले 100 वर्षों का यही एकमात्र समाधान है - प्रश्न : 2018 के विधानसभा चुनाव में उज्जैन उत्तर में भाजपा को 27 हजार मतों से लीड मिली जबकि उसके बाद हुए नगर निगम चुनाव में भाजपा के महापौर प्रत्याशी को 12 हजार वोटों का नुकसान हुआ। यह 39 हजार का बड़ा अंतर क्यों आया ?
उत्तर : यह तो पार्टी के वरिष्ठ ही बता सकते हैं। यह प्रश्न आपको संगठन या स्थानीय विधायक से पूछना चाहिए ।
जिस रीगल टॉकीज की दो बीघा भूमि को माफिया से बचाया वहां पार्किंग, अन्नक्षेत्र और भक्त निवास बने
श्रीमती ओरा के नाम एक बड़ी जीत दर्ज है । गोपाल मंदिर स्थित पुराना नगर निगम मुख्यालय और रीगल टॉकीज की शासकीय भूमि 44 हजार वर्ग फीट है। उसे नगर निगम ने जबलपुर की एक कंपनी को बहुत कम दामों में दे दिया। तब बाजार दर 8 हजार रुपए की थी जिसे 14 सौ रुपए में एमएस ट्रेडिंग कंपनी को सौंपा गया। पहले पार्षद ओरा ने समाचार पत्रों के माध्यम से आवाज उठाई, फिर प्रशासन को शिकायत की और अंत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने गईं। यह पता चला उज्जैन के ही बड़े लोगों की उस कंपनी में पार्टनरशिप है जो भाजपा से भी जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने मामले को समझा और तत्काल रोक लगाई। आज वह भूमि 300 करोड़ रुपए की है। श्रीमती ओरा का कहना है यहां बेसमेंट में मल्टी लेवल पार्किंग बनाई जा सकती है। एक बड़ा व्यवसायिक कॉम्पलेक्स बनाया जा सकता है और 100 कमरों का अतिथि निवास भी । साथ में निशुल्क अन्य क्षेत्र भी प्लान किया जा सकता है। महाकाल मंदिर के एकदम पास होने से व्यावसायिक और श्रद्धालुओं दोनों के उपयोग में आएगा। उन्होंने कहा इस भूमि को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।
कोरोना कल में घर-घर सहयोग पहुंचाया
श्रीमती ओरा अनेक वर्ष पहले पार्षद रहीं लेकिन आसपास के चार वार्डो में उन्होंने कोरोना काल में भोजन के पैकेट से लेकर अन्य सहयोग पहुंचाया । विशेषकर सड़कों पर घूमने वाली गायों और स्वान दल को दूध, बिस्किट तथा चारा पहुंचाने की दुर्लभ सेवा भी की।
अटली जब उज्जैन आए, उनकी कार से घूमे
श्रीमती ओरा के पति दिलीप ओरा भी विद्यार्थी जीवन से संघ तथा भाजपा से जुड़े हैं। 1977 में जब अटलबिहारी वाजपेई उज्जैन आए तब व्यवसायी ओरा ने सफेद एंबेसडर कार 361 नंबर की खरीदी थी। वह अटल जी को अपनी कार से इंदौर छोडऩे गए। उसके बाद से 10-12 बार जब भी अटल जी उज्जैन आए, ओरा ही कार से इंदौर, रतलाम छोडऩे गए।