
नई दिल्ली । नेपाल (Nepal) में कथित जेन-जी (Gen-Z) आंदोलन ने केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) की सरकार को उखाड़ फेंका है। इसके बाद नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की (Former Chief Justice Sushila Karki) को देश का अंतरिम प्रधानमंत्री (Interim Prime Minister) घोषित कर दिया गया है। हालांकि उनकी दावेदारी का कई लोग विरोध भी कर लेकिन उसके बाद भी वह यह रेस जीतने में सफल रहीं। प्रधानमंत्री पद के लिए नाम घोषित होने और उसके पहले उनकी मजबूत दावेदारी के चलते 73 वर्षीय सुशीला कार्की दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रही हैं। ऐसे में सालों पहले उनके पति द्वारा एक विमान हाईजैक में शामिल होने के घटनाक्रम का भी जिक्र हो रहा है।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई करने वाली सुशीला कार्की की पढ़ाई के दौरान ही नेपाली कांग्रेस के तत्कालीन युवा नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी। बनारस में हुई इस मुलाकात के बाद दोनों ने विवाह भी कर लिया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली कांग्रेस द्वारा 10 जून 1973 में एक विमान को हाई जैक किया गया था। इस हाई जैक में दुर्गा प्रसाद सुबेदी भी शामिल थे। इस साजिश में सुबेदी के अलावा उनके साथी नागेंद्र धुंगेल और बसंत भट्टाराई शामिल थे। कथित तौर पर नेपाल के राजा महेंद्र के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए इस हाई जैक की साजिश गिरिजा प्रसाद कोइराला ने रची थी, जो कि बाद में नेपाल के चार बार प्रधानमंत्री भी बने।
उस समय पर छपे एक न्यूज आर्टिकल में नेपाली दूतावास ने बताया था कि तीन हथियारबंद लोगों ने दो इंजन वाले एक नेपाली विमान का अपहरण कर लिया। इस विमान ने नेपाल के स्टेट बैंक का पैसा रखा हुआ था। हाई जैकर्स ने विमान को भारत में प्रवेश कराया और फिर लगभग 4 लाख डॉलर लेकर जंगल में भाग गए।
रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि यह लोग यात्री बनकर विमान में चढ़े थे, लेकिन एक बार जब विमान ने उड़ान भरी तो उन्होंने बंदूक की दम पर उसे अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद अपनी मर्जी से उसे बिहार के फोर्ब्सगंज ले गए। यहां पर पांच और लोग उनका इंतजार कर रहे थे। इतना ही नहीं रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सुशील कोइराला भी वहां पर पैसे के इंतजार में थे। इस हाई जैक लो लेकर सुशील कोइराला को दो साल भारतीय जेल में बिताने पड़े थे।
कथित तौर पर फोर्ब्सगंज में विमान के उतरने के बाद षडयंत्रकारियों ने पैसों से भरे तीन बक्से उतारे और विमान को वापस जाने के लिए कह दिया। इसके बाद जंगल में गायब हो गए। हालांकि 1 साल के भीतर धुंगेल को छोड़कर बाकी सभी लोगों को भारतीय अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था। रिपोर्ट के मुताबिक सुबेदी समेत अन्य लोगों को दो साल जेल में बिताने पड़े थे। हालांकि बाद में 1980 में जनमत संग्रह के पहले वह वापस नेपाल लौट गए थे।
बाद में संयुक्त राष्ट्र में सेवानिवृ्त्त नेपाली राजदूत दिनेश भट्टाराई ने 2014 में रॉयटर्स से बात करते हुए कहा था कि इस पैसे का इस्तेमाल उनकी पार्टी ने राजशाही के खिलाफ जारी लड़ाई के लिए किया था।
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