
काठमांडू. नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री (PM) केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) समेत नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba), सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ (Pushpa Kamal Dahal ‘Prachanda’) और अन्य नेताओं ने नेपाल में राजशाही (Monarchy) की वापसी की संभावनाओं को खारिज करते हुए पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह (Gyanendra Shah) को ‘गुमराह करने वाली हरकतों’ से बचने की चेतावनी दी है.
प्रधानमंत्री ओली ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘अगर पूर्व राजा को लगता है कि वह लोकप्रिय हैं, तो उन्हें संविधान का सम्मान करते हुए अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना चाहिए.’ उन्होंने आगे कहा, ‘आजकल कुछ लोग राजशाही की वापसी के नारे लगा रहे हैं, लेकिन यह संभव नहीं है.’
‘राजशाही की वापसी असंभव’
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल ने शुक्रवार को कहा कि देश में राजशाही की पुनर्स्थापना की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने यह बयान कुछ लोगों और मीडिया के एक वर्ग द्वारा किए जा रहे दावों को खारिज करते हुए दिया.
उन्होंने कहा, ‘राजशाही अब अतीत का हिस्सा बन चुकी है, इसकी वापसी की कोई संभावना नहीं है.’ माधव कुमार नेपाल ने यह बयान अपने जन्मदिन के अवसर पर काठमांडू के कोक्तेश्वर में दिया. उन्होंने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह को सलाह दी कि अगर वह देश की सेवा करना चाहते हैं, तो उन्हें चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री बनना चाहिए.
‘गणतांत्रिक व्यवस्था में राजा के लिए कोई जगह नहीं’
ओली और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया कि देश के कुछ हिस्सों में राजशाही समर्थकों की गतिविधियां बढ़ रही हैं. ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र ने हाल ही में कहा था कि उनके सक्रिय भूमिका निभाने का समय आ गया है.
राजशाही समर्थक पार्टी ‘राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी’ भी इस समय देश के कई हिस्सों में राजशाही बहाली के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित कर रही है. एक अन्य कार्यक्रम में नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने कहा कि गणतांत्रिक व्यवस्था में राजा के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व राजा स्वयं देश को गणराज्य बनाने के लिए जिम्मेदार थे.
‘पूर्व राजा को भुगतना पड़ सकता है अंजाम’
देउबा ने कहा, ‘राजा ज्ञानेन्द्र ने सत्ता हथियाने के लिए राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था और अलोकतांत्रिक फैसले लिए थे, जिसके कारण 2008 में नेपाल को गणराज्य घोषित किया गया.’ सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने पूर्व राजा को चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर वे राजशाही की वापसी के नाम पर मूर्खतापूर्ण हरकतें करते हैं, तो इसका अंजाम उन्हें भुगतना पड़ेगा.’
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