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भारत की शिकायत लेकर जिनपिंग के पास गए थे नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा

September 06, 2025

बीजिंग । नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने पिछले दिनों चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ समिट (SCO Summit) में लिपुलेख (transcript) का मुद्दा उठाया था। ओली को उम्मीद थी कि भारत की शिकायत लेकर चीन के पास पहुंचे नेपाली पीएम को समर्थन मिलेगा, लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐसा जवाब दे दिया, जिसके बाद ओली अब शायद ही दोबारा ऐसा कदम उठाएं। जिनपिंग ने ओली से साफ तौर पर कह दिया कि यह मामला नेपाल और भारत के बीच का है, ऐसे में वह इसमें दखल नहीं देंगे और भारत-नेपाल को ही इसे सुलझाना होगा। दरअसल, हाल ही में उत्तराखंड की सीमा पर स्थित लिपुलेख दर्रे के जरिए भारत और चीन में व्यापार को लेकर सहमति बनी है, जिससे नेपाल नाराज है।

एससीओ समिट में नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के सामने दावा किया कि लिपुलेख नेपाल का इलाका है। यह पिछले दस सालों में पहली बार था, जब किसी नेपाल के नेता ने जिनपिंग के सामने ऐसा दावा किया हो। नेपाल के दूतावास ने बयान में कहा, ”लिपुलेख दर्रे के जरिए भारत और चीन के बीच बनी सहमति का जिक्र करते हुए ओली ने कहा कि यह नेपाल का इलाका है। उन्होंने भारत-चीन में बनी सहमति का विरोध भी किया।”

‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने वह बात बताई जो ओली के साथ बैठक में जिनपिंग ने कही। चीनी राष्ट्रपति ने कहा, “लिपुलेख एक पारंपरिक सीमा दर्रा है, और इसके संचालन के लिए एक समझौता किया गया है। चीन नेपाल के दावे का सम्मान करता है, लेकिन चूंकि सीमा विवाद भारत और नेपाल के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है, इसलिए इसे दोनों पक्षों को सुलझाना होगा।” इस बयान के जरिए चीनी राष्ट्रपति ने बड़ी उम्मीद से भारत की शिकायत करने आए नेपाल के पीएम को जवाब दे दिया।

ओली यह मान रहे होंगे कि शायद जिनपिंग से कहने के बाद चीन भारत के साथ किए समझौते से पीछे हट जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पांच साल पहले नेपाल ने लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को लेकर एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें इन इलाकों को अपना बताया गया था। भारत ने नेपाल के दावों का हर बार कड़ा विरोध किया है। साल 2023 में भी नेपाल को इस मामले में चीन से झटका लगा था। तब उसने नेपाल के नए मैप को उसने स्वीकार नहीं किया था। इसे चीन द्वारा भारत के लिए मौन सपोर्ट की तरह देखा गया।




कहां है लिपुलेख दर्रा?
लिपुलेख उत्तराखंड में सीमा के पास पड़ता है। इसकी सीमा भारत, नेपाल और चीन से मिलती हैं। इस दर्रे के दक्षिणी भाग को कालापानी कहा जाता है। भारत के इन इलाकों पर नेपाल अपना दावा करता रहा है और कुछ सालों पहले उसने अपने नए मैप में भी इसे शामिल कर लिया, जिससे भारत-नेपाल के बीच संबंधों में थोड़ी खटास आ गई। इस दर्रे का इस्तेमाल तीर्थयात्रियों द्वारा भी किया जाता है। हाल ही में मानसरोवर यात्रा पर गए तीर्थयात्रियों ने इस दर्रे का इस्तेमाल किया था। वहीं, पिछले दिनों चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री मोदी के बीच नई दिल्ली में व्यापक वार्ता के बाद दोनों पक्ष- लिपुलेख दर्रे के जरिए से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए थे।

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