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स्वास्थ्य मंत्रालय में हेराफेरी करने वाले नेटवर्क का भंडाफोड़, 14 अफसरों समेत 34 के खिलाफ मुकदमा

July 04, 2025

नई दिल्ली। सीबीआई (CBI) ने स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) में मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) के लिए बने नियामक ढांचे में हेरफेर करने वाले नेटवर्क (Network) का भंडाफोड़ किया है। यह नेटवर्क मेडिकल कॉलेजों से सांठगांठ करके मंत्रालय में चल रही प्रक्रिया और फाइलों की जानकारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को मुहैया कराता था। मामले में सीबीआई ने 14 सरकारी अफसरों (Government Officials) समेत 34 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

सीबीआई के मुताबिक इस नेटवर्क में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अधिकारी, बिचौलिए और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधि शामिल थे। वे भ्रष्टाचार और मेडिकल कॉलेजों को नियंत्रित करने वाले नियामक ढांचे में हेरफेर कर रहे थे। सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि सिंडिकेट की जड़ें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में हैं। यहां के आठ आरोपी अधिकारियों ने बड़ी रिश्वत के बदले में बिचौलियों के एक नेटवर्क के जरिये गोपनीय फाइलों और संवेदनशील सूचनाओं को मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों तक पहुंचाया।

सीबीआई ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बिचौलियों के साथ मिलकर मेडिकल कॉलेजों को एनएमसी की निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर किया। साथ ही आधिकारिक सूचना से काफी पहले ही संबंधित चिकित्सा संस्थानों को निरीक्षण कार्यक्रम और निरीक्षण टीम की पहचान बताई। इसके बाद कॉलेज निरीक्षण के दौरान व्यवस्थाओं में हेरफेर करके सब कुछ सही दिखाकर बेहतर ग्रेड पा जाते थे।


एफआईआर में कहा गया है कि कॉलेज और बिचौलिए ने बेहतर निरीक्षण रिपोर्ट हासिल करने के लिए निरीक्षण टीम को रिश्वत देते, गैर-मौजूद या प्रॉक्सी फैकल्टी की तैनाती करते और निरीक्षण के दौरान फर्जी रोगियों के भर्ती करते थे। सीबीआई ने कहा कि एनएमसी टीमों, बिचौलियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के बीच लाखों रुपये की रिश्वत का आदान-प्रदान किया जा रहा है। इसे हवाला के जरिए भेजा जा रहा है और मंदिर निर्माण के नाम पर किए गए रिश्वत सहित कई उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

सीबीआई ने एफआईआर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आठ अफसर पूनम मीना, धर्मवीर, पीयूष माल्यान, अनूप जायसवाल, राहुल श्रीवास्तव, दीपक, मनीषा और चंदन कुमार को आरोपी बनाया है। इन आरोपियों ने कथित तौर पर फाइलें ढूंढ़ लीं। साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणियों और नोटिंग्स की तस्वीरें खींच लीं और इनको बिचौलियों को भेजा।

सीबीआई की एफआईआर में स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के एक अधिकारी और राष्ट्रीय चिकित्सा आयुक्त निरीक्षण दल से जुड़े पांच डॉक्टरों के नाम हैं। इसके अलावा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के चेयरमैन डीपी सिंह, गीतांजलि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मयूर रावल, रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के चेयरमैन रविशंकर जी महाराज और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया का भी नाम शामिल है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने हाल ही में इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एनएमसी टीम के तीन डॉक्टर भी शामिल हैं। इन पर नया रायपुर स्थित रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च को बेहतर रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है।

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