
इंदौर। प्रदेश सरकार ने इंदौर की ग्रेटर रिंग रोड को इस तरह उलझा दिया है कि न तो पश्चिमी रिंग रोड का काम शुरू हो पा रहा है, न पूर्वी रिंग रोड को लेकर किसी तरह के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। पूर्वी रिंग रोड पहले नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) बना रही थी, लेकिन प्रदेश सरकार के आग्रह पर मार्च में उसने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए थे। तब प्रदेश सरकार ने एनएचएआई को यह कहा था कि वह पीडब्ल्यूडी के अधीन काम करने वाले एमपीआरडीसी (मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) से नई पूर्वी रिंग रोड बनवाएगी।
तब तक एनएचएआई नई पूर्वी रिंग रोड बनवाने के लिए कंपनियों से प्रस्ताव मंगवा चुकी थी। मांगलिया से पीथमपुर तक 75 किलोमीटर लंबी रिंग रोड के निर्माण की लागत करीब 2200 करोड़ रुपए आंकी गई है। तब लग रहा था कि इंदौर की जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार इस मामले में तत्काल एमपीआरडीसी से नई पूर्वी रिंग रोड के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करवाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। नौ महीने बाद भी इस प्रोजेक्ट का कोई माई-बाप नहीं है। यही हाल पश्चिमी रिंग रोड का है, जिसे बना तो एनएचएआई रहा है, लेकिन उसे काम के लिए जमीन नहीं मिल पाई है।
नई पूर्वी रिंग की इसलिए है जरूरत
मौजूदा बायपास के दोनों ओर बड़ी संख्या में टाउनशिप, होटल, मैरिज गार्डन, रेस्त्रां और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बन गए हैं। वर्तमान बायपास के ज्यादातर अंडरपास की चौड़ाई बेहद कम है, जिससे अकसर ट्रैफिक जाम होता है। आने वाले वर्षों में पूर्वी बायपास पर बसाहट और बढ़ेगी। उसी को देखते हुए अभी से नई रिंग रोड की जरूरत है।
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