स्टॉकहोम। वैसे तो आज के समय में वैज्ञानिकों (scientists) ने बहुत तरक्की कर ली है। तकनीक ने हमारी ज़िंदगी को बहुत आसान बना दिया है। अब वैज्ञानिक नई तकनीक (scientific new technology) में लगे हुए सब ठीक रहा तो अब इंसान के भीतर चिप लगने वाली है।
खबरों के अनुसार स्वीडन में डिसरप्टिव सब-डर्मल्स कंपनी एक ऐसी माइक्रोचिप बना रही है जिसमें कोई भी अपना निजी डाटा सुरक्षित कर शरीर में इंप्लांट करा सकता है। चिप में निजी डाटा को अनलॉक करने के कोड भी डाला जा सकता है। इस माइक्रोचिप का अभी बड़े स्तर पर इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है लेकिन हजारों लोग इसे इंप्लांट करा चुके हैं, हालांकि आज ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं जो अपने कर्मचारियों के शरीर में माईक्रो चिप लगाने का काम कर रही हैं।
दूसरी तरफ जिन लोगों ने इस माइक्रोचिप का इंप्लांट कराया है उन्होंने इसमें बिजनेस कार्ड और सार्वजनिक यातायात कार्ड जैसी कई जानकारियां डलवाई हैं। चिप को इंप्लांट करा चुकी स्टॉकहोम निवासी अमैंडा बैक ने बताया, मुझे लगता है कि इस तरीके से मेरा अपने डाटा पर पूरा नियंत्रण बन गया है।
हैल्थ वेयरेबल से ज्यादा टिकाऊ
इन दिनों हैल्थ वेयरेबल व रिस्ट वेयरेबल का इस्तेमाल बढ़ा है। जबकि चिप इंप्लांटेशन इससे काफी सस्ता है। वेयरेबल का इस्तेमाल सिर्फ तीन से चार साल तक हो सकता है जबकि एक चिप इंप्लांट का लाभ 20, 30 और 40 सालों तक लिया जा सकता है। कंपनी के एमडी हैंस सोबलाद ने कहा, कई लोग चिप इंप्लांट को एक डरावनी या सर्विलांस तकनीक समझते हैं, लेकिन यह वास्तव में पहचान के टैग की तरह है।
स्मार्टफोन से छूते ही शुरू होता है काम
शरीर में लगी माइक्रोचिप में कोई बैटरी नहीं होती है। ये खुद कोई सिग्नल नहीं भेज सकती है। ये अपना इस्तेमाल करने वाले शख्स की लोकेशन तक नहीं बता सकते। हकीकत में ये चिप सोई रहती है व स्मार्टफोन से इनको छूने पर ही जागृत होती है। यह कई मामलों में काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
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