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डीपीएस बस हादसे में नया मोड़ 4 बच्चों की हुई थी मौत

January 30, 2024

  • अधीनस्थ न्यायालय का आदेश त्रुटिपूर्ण मानते हुए किया निरस्त
  • मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट का अवलोकन कर पुन: आदेश पारित करने के आदेश

इंदौर, तेजकुमार सेन। लगभग छह साल पहले हुए दिल्ली पब्लिक स्कूल बस हादसे को लेकर स्कूल के संचालकों के विरुद्ध भी गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज करने के मामले में नया मोड़ आया है। 11वें अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश शर्मा की कोर्ट ने मृत बच्चे के परिजन की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए अधीनस्थ न्यायालय का आदेश त्रुटिपूर्ण मानते हुए उसे अपास्त (निरस्त) करते हुए आदेशित किया है कि इस केस की आईएएस रुचिका चौहान द्वारा की गई मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य का अवलोकन कर पुन: विधि अनुसार आदेश पारित करें।

5 जनवरी 2018 को कनाडिय़ा बायपास पर बच्चों को ले जा रही डीपीएस की बस डिवाइडर फांदकर दूसरी ओर ट्रक से जा टकराई थी, जिसमें चार बच्चों व ड्राइवर की मौत हो गई थी और छह घायल हो गए थे। मामले में पुलिस ने ड्राइवर के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज किया था, जबकि अन्य के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की थी। इस हादसे में मृत एक बच्ची हरप्रीत कौर के पिता गुरजीतसिंह ने धारा 156-3 के तहत डीपीएस के चेयरमैन और अन्य के विरुद्ध परिवाद पेश किया था। इसमें समय-समय पर निकले सरकार के नोटिफिकेशन, दिशानिर्देश व कानून का हवाला देकर इस हादसे के लिए स्कूल के संचालकों को भी जिम्मेदार बताया था और इनके विरुद्ध धारा 304, 323, 325, 109, 420, 467, 468, 471, 120बी और 188 में कार्रवाई करने का आग्रह किया था। 30 जून 2018 को जेएमएफसी कोर्ट ने यह परिवाद निरस्त कर दिया। इसके विरुद्ध पुनरीक्षण याचिका दायर की गई।


यह कहते हुए किया खारिज
अधीनस्थ न्यायालय ने यह कहते हुए परिवाद खारिज कर दिया कि स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध इस संबंध में साक्ष्य का अभाव है कि उनके द्वारा कोई लापरवाही बरती गई थी।

कोर्ट ने यह दिए ये आदेश
अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश शर्मा की कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस दुर्घटना के बाद अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी रुचिका चौहान द्वारा मजिस्ट्रियल जांच की गई है और उन्होंने यह पाया है कि दुर्घटना न केवल वाहन चालक की लापरवाही, बल्कि स्कूल प्रबंधन की लापरवाही का भी परिणाम थी। जांच रिपोर्ट की कंडिका 10 के अनुसार स्कूल प्रबंधन या उनके द्वारा इस हेतु नियुक्त अधिकारियों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एमसी मेहता व अन्य विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया में दी गई गाइड लाइन का शत प्रतिशत पालन नहीं किया गया है। मेरे मतानुसार इस दुर्घटना में न केवल वाहन चालक की लापरवाही थी, बल्कि स्कूल प्रबंधन और उसके जिम्मेदार पदाधिकारियों द्वारा भी लापरवाही की गई है, जिसके परिणामस्वरूप यह दुर्घटना हुई। कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपने आदेश में उक्त मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट को विचार में लिया जाना प्रकट नहीं होता है, इसलिए उनका यह आदेश निश्चित ही त्रुटिपूर्ण है और स्थिर रखे जाने योग्य नहीं है। अत: यह पुनरीक्षण याचिका स्वीकार कर अधीनस्थ न्यायालय के 30 जून 2018 के आदेश को अपास्त किया जाता है और न्यायालय को आदेशित किया जाता है कि वह आवेदक द्वारा लाए गए साक्ष्य का, विशेष रूप से आईएएस रुचिका चौहान की जांच रिपोर्ट का अवलोकन कर पुन: विधि अनुसार आदेश पारित करें।

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