वीजिंग। चीन (China) में लोगों पर घातक हमलों की कवरेज दबाने के आरोप लगे हैं। इसे लेकर शिकायत बढ़ती जा रही है। पिछले महीने के अंत में बीजिंग (Beijing) के बाहरी इलाके में स्कूल के पास कार ने बच्चों को टक्कर मार दी। पुलिस के बयान में कहा गया कि 35 साल के ड्राइवर ने गलत ड्राइविंग की, जिसकी वजह से पैदल चलने वालों को टक्कर लगी। इसमें स्कूल या बच्चों का जिक्र ही नहीं था। घटना के बाद सड़क पर घायल पड़े लोगों की तस्वीरें भी इंटरनेट से हटा दी गईं। हालांकि, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो के जरिए लोग आवाज उठा रहे हैं। एक पोस्ट में कहा गया, ‘हमें सच चाहिए।’
2012 में शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से ही कम्युनिस्ट पार्टी ने सूचनाओं पर नियंत्रण बढ़ा दिया है। इसका कारण अशांति फैलने से रोका जाना बताया जाता है। अर्थव्यवस्था की नकारात्मक खबरों से लेकर LGBTQ पहचान जैसे कई मुद्दों पर सेंसरशिप लागू की गई है। पिछले 6 महीने में सामूहिक हमलों की कई घटनाएं हुईं। मगर, उन्हें भी सेंसरशिप की लिस्ट में शामिल कर लिया गया और खबरें उतनी डिटेल में सामने नहीं आईं। हाल के महीनों में चीन में कुछ लोगों ने इसकी ऑनलाइन शिकायत भी की है। खासकर दो मामलों में जहां ड्राइवरों ने पैदल चलने वालों को टक्कर मार दी।
खबरों को दबाने के पीछे क्या मकसद
एक्सपर्ट बतातें है कि सरकार शायद नकल करके किए जाने वाले अपराधों को रोकने की कोशिश कर रही है। एक और कारण हो सकता है कि स्थानीय अधिकारी अपनी नाकामी छिपाना चाहते हैं। नवंबर में एक घातक घटना के बाद से सरकार ने सख्ती दिखाई है। बीते दिनों हमले की कई घटनाएं हुईं, लेकिन जानकारी की कमी के कारण यह बताना मुश्किल है कि ये बढ़ रहे हैं या नहीं। पहले हमलों से जुड़ी खबरों को पूरी तरह दबाया नहीं जाता था। अधिकारी मुख्य जानकारियां साझा कर दिया करते थे। आमतौर पर हमलावर को समाज पर गुस्सा निकालने वाला बताया जाता था, जो अक्सर आर्थिक नुकसान के कारण होता था। हालांकि, अब इस तरह की बातों को फैलने से रोका जा रहा है।
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