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नहीं मिल रहे घरों के खरीदार! रियल एस्टेट बाजार की 2025 में यूं हुई धीमी रफ्तार

July 18, 2025

नई दिल्ली: देश के बड़े शहरों में रिहायशी प्रॉपर्टी (Residential Property) की कीमतें (Price) तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन घर खरीदने वालों की संख्या घटती जा रही है. अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में RBI ने ब्याज दरों (Interest Rates) में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, लेकिन इसका ज्यादा असर मकानों की बिक्री (Sale of Houses) पर नहीं पड़ा.

रिपोर्ट के मुताबिक, देश के टॉप 7 शहरों में मकानों की बिक्री सालाना आधार पर 20% घटकर 96,300 यूनिट रह गई, जबकि प्रॉपर्टी की औसत कीमत 11% बढ़ गई. ये आंकड़े बताते हैं कि अब कीमत और बिक्री के बीच बड़ा फर्क आ गया है, जो देश के रियल एस्टेट बाजार में बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है.

पिछली तिमाही की तुलना में Q2 2025 में बिक्री में 3% की मामूली बढ़ोतरी जरूर हुई, लेकिन सालाना आधार पर गिरावट काफी ज्यादा रही. मुंबई और पुणे जैसे शहरों में बिक्री में 25-27% तक की गिरावट आई. हैदराबाद और NCR में भी बिक्री में क्रमशः 27% और 14% की गिरावट हुई. वहीं चेन्नई ने सबको चौंकाते हुए सालाना आधार पर 13% की बढ़त और पिछली तिमाही से 40% ज्यादा बिक्री दर्ज की.

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सबसे बड़ा झटका यह है कि जहां बिक्री घटी है, वहीं दाम और तेजी से बढ़े हैं. NCR में कीमतों में 27% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, इसके बाद बेंगलुरु में 12% का उछाल आया. हैदराबाद, चेन्नई और पुणे में भी दाम 611% बढ़े हैं. देशभर में प्रॉपर्टी की औसत कीमत 8,070 रुपये प्रति वर्गफुट से बढ़कर 8,990 रुपये हो गई है. यानी सालाना 11% की बढ़त. बढ़ती लागत, जमीन के ऊंचे रेट और प्रीमियम मकानों की डिमांड इसके बड़े कारण हैं. इस वजह से मिडिल क्लास के लिए घर खरीदना काफी मुश्किल हो गया है. लोग या तो अपनी खरीद टाल रहे हैं या छोटे घरों की तरफ जा रहे हैं.

बिक्री और कीमतों के बीच यह फर्क देश के रियल एस्टेट में बड़ी शिफ्ट दिखा रहा है. प्रीमियम और लग्जरी मकानों की डिमांड तो बढ़ रही है, लेकिन मिडिल क्लास के लिए अफोर्डेबिलिटी एक बड़ी चुनौती बन गई है. बिल्डर अब मिडिल क्लास के बजाय हाई-एंड ग्राहकों को टारगेट कर रहे हैं. Q2 2025 में लग्जरी हाउसिंग (1.52.5 करोड़ रुपये) में नई लॉन्चिंग का 27% हिस्सा रहा, इसके बाद हाई-एंड (80 लाख1.5 करोड़) और मिड-एंड (4080 लाख) सेगमेंट का हिस्सा 21% रहा. अल्ट्रा-लक्सरी (2.5 करोड़ से ज्यादा) का हिस्सा 19% रहा. इसके उलट, अफोर्डेबल हाउसिंग (40 लाख से कम) में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई और यह नई लॉन्चिंग का सिर्फ 12% ही रही. इससे साफ है कि बिल्डरों की दिलचस्पी अब कम मुनाफे वाले सस्ते घरों में नहीं रही.

कम बिक्री और नई लॉन्चिंग में 16% की गिरावट के बावजूद टॉप 7 शहरों में उपलब्ध मकानों की इन्वेंट्री सालाना आधार पर मामूली 3% घटकर 5.62 लाख यूनिट रह गई. पुणे में इन्वेंट्री 15% घटी, जबकि MMR में 9% की गिरावट हुई. वहीं बेंगलुरु में इन्वेंट्री 30% बढ़ गई, जो डिमांड और सप्लाई के बीच अस्थायी असंतुलन को दिखा रही है.

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