
नई दिल्ली। रूसी तेल की खरीद (Purchase Russian oil.) को लेकर भारत को लगातार निशाना बनाए जाने के बावजूद भारत (India) ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट रखा है। भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों (Energy needs.) को सर्वोपरि रखेगा और अपने राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता नहीं करेगा। इस बीच अब खबर सामने आई है कि भारत का रूस से तेल का आयात पिछले पांच महीने में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने वाला है। गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और अपनी जरूरतों का 80 फीसदी से अधिक हिस्सा आयात करता है।
शिप ट्रैकिंग एजेंसी केप्लर के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में भारत का रूस से तेल आयात पांच महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंचने वाला है। रिपोर्ट में इसकी वजह भी बताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक तेल कंपनियां बैन किए गए रूसी तेल प्रोड्यूसर्स के साथ ट्रांजैक्शन खत्म करने की अमेरिकी डेडलाइन से पहले स्टॉक जुटाने में लगे रहे। जानकारी के मुताबिक रूसी तेल के खरीदारों के पास रूसी कंपनियों के साथ डील खत्म करने के लिए 21 नवंबर तक का समय था।
नवंबर में बढ़ा आयात
प्रोविजनल डेटा के मुताबिक रोसनेफ्ट और लुकोइल के खिलाफ नए प्रतिबंधों के बाद गिरावट के अनुमानों को गलत साबित करते हुए, भारत की रूसी तेल की खरीद इस महीने अक्टूबर में 1.48 मिलियन बैरल प्रति दिन से बढ़कर 1.855 मिलियन bpd होने की उम्मीद है। यह जुलाई के बाद सबसे ज्यादा होगा जब भारत ने 1.52 मिलियन bpd इंपोर्ट किया था। एक ट्रेड सोर्स ने बताया, “नवंबर में रूस की सप्लाई ज्यादा होने की उम्मीद है क्योंकि कई रिफाइनरियों ने अमेरिकी बैन की डेडलाइन से पहले स्टॉक भरने की कोशिश की है।”
आगे क्या?
हालांकि ट्रेड और रिफाइनिंग सोर्स ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि नवंबर में आयात बढ़ने के बावजूद, दिसंबर में भारत का आयात तीन साल में सबसे कम हो जाएगा। एक रिफाइनिंग सोर्स ने कहा कि हाल के अमेरिकी बैन के बाद बैंक स्क्रूटनी ने भारतीय सरकारी रिफाइनर को बहुत ज्यादा सावधान कर दिया है। जानकारी के मुताबिक भारत दिसंबर में हर दिन 6,00,000 से 6,50,000 बैरल रूसी तेल का आयात कर सकता है।
बता दें कि इससे पहले मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प और HPCL-मित्तल एनर्जी लिमिटेड जैसे ज्यादातर इंडियन रिफाइनर ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है।
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