
चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की कार्यशैली पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ईडी कोई ड्रोन (Drone) नहीं है जो अपनी मर्जी से कहीं भी हमला कर दें, और न ही वह कोई सुपर कॉप (Super Cop) है जो हर उस मामले की जांच शुरू कर दें जो उसके संज्ञान में आए। यह टिप्पणी हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ न्यायमूर्ति एमएस रमेश और न्यायमूर्ति वी लक्ष्मीनारायणन ने की। वे चेन्नई स्थित आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड (RKM Powergen PVT LTD) की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें कंपनी ने ईडी की तरफ से 901 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) जब्त करने के आदेश को चुनौती दी थी।
मामले में कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि ईडी कोई घूमता हुआ बम नहीं है जो जहां चाहे वहां फट जाए। उसे हर बात में कूदने का अधिकार नहीं है। बेंच ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून की धारा 66(2) के मुताबिक, अगर जांच के दौरान ईडी को किसी अन्य कानून के उल्लंघन की जानकारी मिलती है, तो वह खुद उस अपराध की जांच नहीं कर सकती।
पीठ ने कहा कि ईडी उस एजेंसी को जानकारी देनी होती है, जो उस अपराध की जांच के लिए अधिकृत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी को किसी भी मामले की जांच तभी करनी चाहिए जब प्रारंभिक अपराध मौजूद हो और उसके कारण अपराध की आय उत्पन्न हुई हो। बिना इसके ईडी सीधे जांच नहीं कर सकती।
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