
इंदौर, प्रदीप मिश्रा। अपने प्रियजन की मृत्यु पर दु:ख-दर्द और अथाह से पीड़ा से जूझ रहे परिजनों को मृतक के अंगदान के लिए मनाना कितना बड़ा मुश्किल काम है यह सिर्फ इन आंकड़ों से ही पता चल जाता है। इंदौर में पिछले 10 सालों में स्थानीय काउंसलर की टीम ने अंगदान के लिए लगभग 2000 मृतक के परिवारों से घंटों काउंसलिंग की, मगर सिर्फ 59 परिवार के परिजनों को ही अंगदान के लिए मना पाए। अंगदान की वजह से ही 59 मरीज लगभग खत्म हो चुकी जिंदगी की नई पारी खेल रहे हैं।
यह खुलासा कल राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर अग्निबाण से चर्चा के दौरान शहर में ऑर्गन डोनेशन के लिए काम करने वाली मुस्कान संस्था की काउंसलर टीम ने किया। महज 10 सालों में इंदौर को अंगदान के मामले में नम्बर वन बनाने में शहर के काउंसलर की टीम कामयाब रही है। काउंसलर संदीपन आर्य ने कहा कि जिस परिवार के किसी प्रियजन की मृत्यु हो चुकी हो, सब मातम मना रहे हो, ऐसे में मृतक के परिजनों को अंगदान, देहदान, नेत्रदान और स्किन दान के लिए राजी करना लगभग असंभव जैसा ही है, क्योंकि कई बार ऐसी अप्रिय परिस्थितियां भी बन जाती हैं, जब कई मृतक के परिजन उन्हें उलटे पैर वापस लौटा देते हैं।
अपने प्रियजन के अंगदान के लिए अंतद्र्वंद्व से जूझते हैं परिजन
कई बार ऐसा भी होता है कि परिजन मृतक के अंगदान अथवा देहदान के लिए तैयार हो जाते हैं, मगर अचानक कोई न कोई रिश्तेदार आकर ऐनवक्त पर साफ मना करके सारी मेहनत पर पानी फेर देते हैं। अंगदान के लिए राजी कुछ परिवार दु:ख के साथ इस अंतद्र्वंद्व से भी जूझते रहते हैं कि अंगदान के फैसले से कहीं उनके अपने रिश्तेदार नाराज न हो जाएं। कहीं हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं। मगर एक समय ऐसा भी आता है, जब अपने प्रियजन के अंगदान करने वाले परिजन काउंसलर टीम का न सिर्फ हिस्सा बन जाते हैं, बल्कि जरूरत पडऩे पर काउंसलरों की मदद करने अस्पताल पहुंच जाते हैं।
अंगदान के रिकार्ड में इनकी अहम भूमिका
काउंसलर टीम के अनुसार अब तक बनाए गए 64 ग्रीन कॉरिडोर और शहर में किए 59 ऑर्गन डोनेशन में हॉस्पिटल के डॉक्टर्स और इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के अलावा पूर्व संभागायुक्त संजय दुबे संस्थापक सचिव और एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन संजय दीक्षित के अलावा पिछले 10 सालों से इंदौर के संभागायुक्त और कलेक्टर के अलावा पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारियों की बड़ी भूमिका रही है।
13 मेडिकल जांच और ब्रेनडेड के लिए 2 बार कन्फर्म करना पड़ता
ब्रेनडेड मरीज की शासन द्वारा पंजीबद्ध 4 डाक्टर्स की टीम 13 मेडिकल जांच करती है। इसके अलावा ब्रेनडेड की 2 बार जांच करने बाद अंगदान के लिए अनुमति देती है। अंगदानी और देहदानी को गार्ड ऑफ ऑनर देने का ऐलान- अंगदान को प्रोत्साहन देने के लिए मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने अंगदानी और देहदानी मृतक को उनके अंतिम संस्कार के पहले सरकार ने गार्ड ऑफ ऑनर देने का ऐलान किया है। अभी तक इंदौर, बड़वानी, उज्जैन में 4 को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा चुका है।
जो परिजन अपने प्रियजन की मृत्यु के बाद उसके अंगदान या देहदान करेंगे या कर चुके हैं जिला प्रशासन उन परिजनों को हर साल 15 अगस्त को सम्मानित करेगा। इस साल की भी हम अंगदानी के परिजनों की सूची तैयार कर चुके हैं।
संजय दीक्षित संस्थापक सचिव ऑर्गन डोनेशन सोसायटी, इंदौर।
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