
इंदौर (Indore)। ग्रामीण क्षेत्रों में मायूसी का माहौल नजर आ रहा है। सोयाबीन की फसल बारिश की खेंच से मुरझा रही है तो पीला वायरस लगने से खड़ी फसल सूख रही है। किसान अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं कि सर्वे कराया जाए और मुआवजा दिया जाए, लेकिन अधिकारियों की बेरुखी से किसानों में नाराजगी साफ नजर आ रही है।
इंदौर जिले में 2 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर सोयाबीन की फसल बोई गई है। तकरीबन 3 सप्ताह से बादलों की बेरुखी के चलते फसल अब खराब होना शुरू हो गई है। पीला वायरस लगने से खेत में खड़ी फसल सूख रही है। किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से सर्वे नहीं कराया जा रहा। सोयाबीन फसल को लेकर वे किसान ज्यादा परेशान हैं , जहां काली मिट्टी कम है। देपालपुर के नेवरी, चटवाड़ा, बड़ौदा, जालना, माचल, कलारिया, जंबूड़ी, बेटमाखुर्द, सांवेर के चित्तौड़ा, पाल कांकरिया, बछांद्रा, महू और मानपुर क्षेत्र में भी 50 फीसदी ज्यादा फसल को नुकसान हुआ है। पानोड़ के किसान कृष्णपाल सिंह ने बताया कि सोयाबीन में लगातार लागत बढ़ रही है। महंगा बीज मिला है। तकरीबन 12 से 15 हजार रुपए प्रतिबीघा खर्च हो रहा है। सभी का फसल बीमा काटा जा रहा है। प्रीमियम जमा कर रहे हैं तो फिर सर्वे समय पर क्यों नहीं किया जा रहा है।
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