
नई दिल्ली । साल 2025 के लिए अर्थशास्त्र (Economics) के नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) के विजेताओं (Winners) की घोषणाओं हो गई है। इस साल आर्थिक विकास की नई व्याख्या के लिए जोएल मोकिर (Joel Mokyr), फिलिप एगियन (Philip Aghion) और पीटर हॉविट (Peter Howitt) को इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है। मोकिर नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से, एगियन कॉलेज डी फ्रांस और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से और हॉविट ब्राउन यूनिवर्सिटी से संबंध रखते हैं।
विजेताओं का ऐलान करते हुए नोबेल समिति ने कहा है कि मोकिर ने यह प्रदर्शित किया है कि अगर एक के बाद एक नए इनोवेशन की प्रक्रिया सुनिश्चित करनी है, तो हमें न सिर्फ यह जानना होगा कि कौन-सी चीज काम करती है, बल्कि हमें इस बात की वैज्ञानिक समझ भी हासिल करनी होगी कि वह क्यों काम करती है। वहीं एगियन और हॉविट ने सतत विकास के पीछे के इकोसिस्टम का अध्ययन किया। उन्होंने क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन को लेकर अहम शोध किए। क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन उस प्रक्रिया को कहा जाता है कि जब एक नया और बेहतर उत्पाद बाजार में दस्तक देता है, तो पुराने उत्पाद बेचने वाली कंपनियां नुकसान में आ जाती हैं।
अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार समिति के अध्यक्ष हैस्लर ने कहा, “पुरस्कार विजेताओं का काम दर्शाता है कि आर्थिक विकास को हल्के में नहीं लिया जा सकता। हमें क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन को रेखांकित करने वाली प्रणालियों को कायम रखना होगा, ताकि हम फिर से आर्थिक ठहराव के दौर में न अटक जाएं।”
बता दें कि अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार को औपचारिक रूप से ‘अल्फ्रेड नोबेल की याद में अर्थशास्त्र में बैंक ऑफ स्वीडन पुरस्कार’ के रूप में जाना जाता है। सेंट्रल बैंक ने 1968 में 19वीं सदी के स्वीडिश व्यवसायी और रसायन शास्त्री अल्फ्रेड नोबेल की याद में यह पुरस्कार शुरू किया था। अल्फ्रेड नोबेल एक महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने डायनामाइट का आविष्कार किया था। उन्होंने अपनी वसीयत में हर साल पांच नोबेल पुरस्कारों का जिक्र किया था, जिनमें चिकित्सा, भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्य और शांति के नोबेल पुरस्कार शामिल हैं।
इससे पहले पिछले साल अर्थशास्त्र का नोबेल तीन अर्थशास्त्रियों-डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए रॉबिंसन को दिया गया था, जिन्होंने इस बात का अध्ययन किया था कि कुछ देश अमीर और अन्य गरीब क्यों हैं। उन्होंने इस बात को प्रमाणित किया था कि अधिक स्वतंत्र, खुले समाजों के समृद्ध होने की संभावना अधिक होती है।
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