
भोपाल। रीवा जिले में दूसरे बड़े सोलर पॉवर प्लांट की स्थापना में एक बार फिर प्रशासनिक पेंच फंस गया है। इस बार भी वन भूमि के अधिग्रहण की स्वीकृति नहीं मिली है, जिसकी वजह से अब नए विकल्पों की एक बार फिर तलाश शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले ही सीतापुर-मऊगंज क्षेत्र में करीब एक हजार हेक्टेयर भूमि चिन्हित कर नए सोलर पॉवर प्लांट की स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस क्षेत्र में वनभूमि का भी बड़ा हिस्सा फंस रहा था, इस कारण वन विभाग से एनओसी मांगी गई थी लेकिन विभाग ने वनभूमि देने से इंकार कर दिया है। जिसके चलते नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग को एक और झटका लगा है। इसके पहले भी वन भूमि की एनओसी नहीं मिलने की वजह से स्थान बदलकर दूसरी जगह पर तलाश की जा रही थी।
गुढ़ तहसील के बदवार पहाड़ में सोलर एनर्जी का 750 मेगावॉट क्षमता का अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट सफलता पूर्वक संचालित करने के बाद एक और प्लांट लगाए जाने की तैयारी बीते करीब चार वर्षों से चल रही है। प्रशासन ने 350 मेगावॉट पॉवर प्लांट क्योंटी में लगाए जाने के लिए प्रस्ताव शासन के पास भेजा था। शासन की ओर से भी सैद्धांतिक सहमति मिली थी लेकिन राजस्व के साथ ही वन भूमि का भी कुछ हिस्सा इसमें शामिल था। वन विभाग द्वारा इसकी एनओसी नहीं दिए जाने की वजह से प्रोजेक्ट वहां पर स्थगित कर दिया गया था।
क्योंटी में 350 मेगावॉट का होना था स्थापित
इसके पहले क्योंटी(लालगांव) के पास 350 मेगावॉट क्षमता के प्लांट लगाने की शुरुआत कर दी गई थी। इसके लिए सिरमौर तहसील के क्योंटी में जिस भूमि पर सोलर पॉवर प्लांट लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था, वह राजस्व और वन विभाग की भूमि थी। इस भूमि का कुल रकबा 728.361 हेक्टेयर था। जिसमें 17.603 हेक्टेयर वन भूमि का हिस्सा भी शामिल था। प्लांट के लिए 23.067 हेक्टेयर निजी भूमि का भी अधिग्रहण करना था। वन विभाग ने एनओसी नहीं दी तो भूमि अधिग्रहण भी रोक दिया गया था। इस प्रस्तावित प्लांट के एक हिस्से में 346.873 हेक्टेयर और दूसरे हिस्से में 358.421 हेक्टेयर भूमि में इकाइयां स्थापित करने की तैयारी थी।
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