
जबलपुर। शहर की सड़कों, बाजारों, चौराहों से लेकर कॉलोनियों और गली-मोहल्लों तक लाउडस्पीकरों का शोर आम लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। फल, सब्जी और अन्य सामग्री बेचने वाले फुटकर विक्रेता खुलेआम तेज और कर्कश आवाज वाले लाउडस्पीकरों का उपयोग कर कोलाहल अधिनियम (नॉइज़ पॉल्यूशन एक्ट) का उल्लंघन कर रहे हैं। सुबह से देर रात तक गूंजती इन आवाजों ने शहरवासियों का सुकून छीन लिया है।
नागरिकों का कहना है कि फेरी लगाकर सामान बेचने वाले विक्रेता लगातार लाउडस्पीकर पर ऊंची आवाज में प्रचार करते रहते हैं। इससे घरों में शांति से रहना मुश्किल हो गया है। खासकर पढ़ाई करने वाले बच्चों, बीमार लोगों और बुजुर्गों को इस शोर से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। कई इलाकों में तो स्थिति यह है कि लाउडस्पीकर की आवाज के कारण घर के अंदर आपसी बातचीत तक संभव नहीं हो पा रही है। लोगों ने बताया कि ठेलों पर लगे लाउडस्पीकरों की कर्कश ध्वनि से ध्वनि प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। जब प्रमुख बाजारों और व्यस्त सड़कों पर एक साथ कई ठेलों के लाउडस्पीकर बजते हैं, तो पूरा इलाका शोर से भर जाता है। यह शोर न केवल चिड़चिड़ाहट पैदा करता है, बल्कि मानसिक तनाव का कारण भी बन रहा है। हालात तब और बिगड़ जाते हैं, जब यही ठेले गली-मोहल्लों में घरों के सामने खड़े होकर तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाने लगते हैं। कई बार नागरिकों को घर से बाहर निकलकर विक्रेताओं को लाउडस्पीकर बंद करने के लिए टोकना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि साइलेंट जोन की भी इन विक्रेताओं को कोई परवाह नहीं है। हाई कोर्ट और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास घोषित साइलेंट जोन में भी खुलेआम लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं। इससे न केवल नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
फेरीवालों के हौसले बुलंद
आम नागरिकों का आरोप है कि अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण इन फेरीवालों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। लोगों की मांग है कि कोलाहल अधिनियम के तहत नियम तोडऩे वालों पर चालानी कार्रवाई की जाए और लाउडस्पीकर जब्त किए जाएं, ताकि इस समस्या पर अंकुश लग सके।
नियमानुसार होगी कार्रवाई
इस संबंध में डीएसपी ट्रैफिक बैजनाथ प्रजापति ने कहा कि सड़कों और बाजारों में तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाकर सामान बेचने वाले विक्रेताओं की जांच की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह है कि प्रशासन की यह चेतावनी जमीन पर कब और कितना असर दिखाती है।