
इन्दौर। केंद्र (Center) और राज्य सरकार (state government) सहित शासन , प्रशासन ने सडक़ दुर्घटना (road accident) में घायलों के 1 लाख 50 हजार रुपये तक मुफ्त इलाज (free treatment) वाली योजना का प्रचार-प्रसार तो बहुत किया, मगर इस योजना का लाभ अभी तक किसी भी घायल को नही मिल पा रहा है। अब तक यह योजना सिर्फ कागजों या डिजिटल फाइलों पर ही मौजूद है। इस वजह से अस्पताल वाले और घायल दोनों परेशान हो रहे हैं।
यह खुलासा तब हुआ जब जिला स्वास्थ्य विभाग से यह जानकारी मांगी गई कि अभी तक कितने निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज वालों का सत्यापन किया है, तो अधिकारियों ने बताया कि उनके पास अभी तक एक भी मामला सत्यापन के लिए नहीं आया है । इसकी मुख्य वजह यह है कि तकनीकी कारणों के चलते दुर्घटना पीडि़तों के लिए बनाई गई इस कैशलेस स्कीम और क्लेम से संबंधित पोर्टल अथवा वेबसाइट अभी तक लांच नही हो पाई है।
परिजनों को समझाना मुश्किल
इस मामले में कुछ निजी अस्पतालों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार ने सडक़ परिवहन मंत्रालय की इस योजना की मीडिया के माध्यम घोषणा तो पिछले जून माह में ही कर दी मगर दुर्घटना पीडि़तों के कैसलेश इलाज और क्लेम रूल्स रेग्युलेशन सम्बन्धित पोर्टल या वेबसाइट कम्प्यूटर पर अभी तक लोड नहीं हो रहा है। इस कारण उनके यहां जो भी दुर्घटना घायल इलाज के लिए आते हैं, उन्हें समझना मुश्किल हो जाता है ।
मुफ्त इलाज के लिए इतना सब कुछ करना जरूरी होगा
जिस नजदीकी अस्पताल में पीडि़त को ले जाया गया है। यदि वहां पीडि़त के इलाज के हिसाब से संसाधन नही हैं तो वहां उसकी प्राथमिक चिकित्सा कर वह दूसरे अस्पताल को भेजेगा। प्राथमिक चिकित्सा में जो भी खर्च हुआ। हॉस्पिटल प्रबन्धन को उसे पेशेंट क्लेम पोर्टल पर दर्ज करना होगा। इसके इलाज के दौरान हॉस्पिटल प्रबंधन यह जांचेगा पीडि़त का आयुष्मान योजना से सम्बन्धित है या नहीं या अन्य किसी बीमा एजेंसी में बीमा है। यदि पीडि़त का बीमा नही है तो जिस वाहन से या सामने वाले वाहन का थर्ड पार्टी बीमा है कि नही, यह सारी जानकारी स्कीम पोर्टल पर दर्ज करना होगी ।
इलाज की सत्यापन की जिम्मेदारी विभाग की
केंद्र सरकार के सडक़ परिवहन मंत्रालय की इस योजना के अंतर्गत सडक़ दुर्घटना में घायलों का 1.50 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज करना निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी हैं । मतलब अब निजी अस्पताल घायलों का मुफ्त इलाज करने से मना नही कर सकते । इस योजना के अंतर्गत जिस अस्पताल में घायल का इलाज होता है , वहां जाकर स्वास्थ्य विभाग को घायल के इलाज का सत्यापन करना होता है मगर 18 जुलाई तक स्वास्थ्य विभाग के पास सत्यापन का एक भी मामला नही है। इस एक्सिडेंटल कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम के अंतर्गत दुर्घटना पीडि़त को नजदीकी हॉस्पिटल तक पहुंचाने वालों को 25,000 रुपये तक कि प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था है मगर यदि एक से ज्यादा लोग पीडि़त को अस्पताल ले कर पहुंचे है तो यह राशि सभी मे सदस्यो के हिसाब से बंट जायगी ।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved