
नई दिल्ली: समुद्र विशाल है जिसकी गहराइयों में एक अलग ही दुनिया बसती है. यानी बहुत मुमकिन है कि समुद्र में कई ऐसे राज छिपे हुए हैं जिनसे हम अब तक अंजान हैं. दुनिया के हर मुल्क में समुद्र से जुड़े राज को खंगालने के लिए कई रिसर्च चल रही हैं. ऐसी खोज जिनसे हमारे फायदे की अपार संभावनाएं हैं. हाल ही में जर्मनी के Max Planck Institute for Marine Microbiology की एक स्टडी के मुताबिक खारे समुद्र की तलहटी में SUGAR का भंडार छिपा है.
समुद्र की गहाईयों में पायी जाने वाली समुद्री घास में सुक्रोज मौजूद है. सुक्रोज वही कॉम्पोनेन्ट है जिससे सफेद चीनी (Sugar) बनायी जाती है. साथ ही इस रिसर्च में ये भी खुलासा हुआ है कि समुद्री घास अपनी मिट्टी में भारी मात्रा में सुक्रोज छोड़ती है. जो 13 लाख टन Sugar के भंडार यानी 32 अरब कोल्ड ड्रिंक्स की मिठास के बराबर मीठापन रखती है. समुद्री घास-समुद्री पौधे धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड के सबसे बेहतर सोर्स में से एक हैं.
जर्मनी के ब्रेमेन में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर मरीन माइक्रोबायोलॉजी के वैज्ञानिकों (microbiology scientists) ने पाया कि समुद्री घास अपनी मिट्टी में भारी मात्रा में सुक्रोज छोड़ते हैं जिसे राइजोस्फीयर कहा जाता है और 1 मिलियन टन से अधिक सुक्रोज छोड़ते हैं. जो समुद्री वातावरण में पहले से मापी गई तुलना में कम से कम 80 गुना अधिक हो सकता है.
समुद्री सूक्ष्म जीव-विज्ञानी निकोल डुबिलियर (Marine microbiologist Nicole Dubilier) का कहना है कि समुद्री घास फोटोसिंथेसिस के दौरान शुगर का उत्पादन करती है. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया की औसतन प्रकाश में ये समुद्री घास अपने मेटाबॉलिज्म के लिए सुक्रोज का उपयोग करते हैं. लेकिन ज्यादा धूप जैसे दोपहर या गर्मियों में ये पौधे अधिक शुगर का उत्पादन करते हैं. फिर वे ज्यादा सुक्रोज को अपने राइजोस्फीयर में छोड़ देते हैं. समुद्री घास अपनी मिट्टी में भारी मात्रा में शुगर छोड़ते हैं इस प्रक्रिया को राइजोस्फीयर (Rhizosphere) कहा जाता है. अनुमान है कि दुनिया भर में 0.6 से 1.3 मिलियन टन शुक्रोज है. यह लगभग 32 बिलियन कोक के डिब्बे में चीनी की मात्रा के बराबर है.
आश्चर्य की बात तो यह है कि इस अतिरिक्त Sugar को आसपास के वातावरण में सूक्ष्म जीवों द्वारा एब्जोर्व नहीं किया जाता है. इसे रोकने के लिए समुद्री घास फोनेटिक कंपाउंड्स (जो पौधे के मेटाबोलिज्म पर असर डालती है) को उसी तरह भेजती है जैसे कई दूसरे पौधे करते हैं. सरल भाषा में ये केमिकल कंपाउंड रेड वाइन, कॉफी और फलों के साथ-साथ कई प्राकृतिक चीजों में पाए जाते हैं, जो एंटी माइक्रोबियल होते हैं और ज्यादातर सूक्ष्म जीवों के मेटाबॉलिज्म को रोकते हैं, उन्हें धीमा करते हैं. इसलिए वो इसका सेवन कम करते हैं. वहीं ये कॉम्पोनेन्ट इंसानी शरीर के लिए काफी अच्छा पाया गया है. इस तरह के कॉम्पोनेन्ट अक्सर रेड वाइन, कॉफी में पाए जाते हैं और बहुत से लोग इन्हें हेल्थ सप्लीमेंट के तौर पर लेते हैं.
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