
डेस्क: भारतीय सेना (Indian Army) ने आधुनिकीकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है. अब हर जवान को हथियार (Weapon) के साथ-साथ ड्रोन (Drone) चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस पहल को सेना ने ईगल इन द आर्म (Eagle in the Arm) नाम दिया है. यानी हर सैनिक की ताकत में अब एक उड़ता हुआ बाज़ भी शामिल होगा.
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर (2025) के दौरान पहली बार बड़े पैमाने पर ड्रोन और स्वार्म तकनीक का इस्तेमाल किया था. उस वक्त पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम, जिनमें चीन से मिले HQ-9B और HQ-16 मिसाइल शामिल थे, भारतीय ड्रोनों और मिसाइलों के सामने बुरी तरह विफल हो गए थे.
- ड्रोन ने दुश्मन की एयर डिफेंस राडार साइट्स को अंधा कर दिया.
- सटीक हमले कर भारतीय वायुसेना और थल सेना को गहरी पैठ बनाने का मौका मिला.
- ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि ड्रोन आधुनिक युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका
- यूक्रेन बनाम रूस युद्ध: यूक्रेन ने ईरानी शहीद-136 और अपने स्वदेशी ड्रोन से रूस की पोजीशन और टैंकों को भारी नुकसान पहुंचाया. रूस ने भी लैंसेट जैसे किलर ड्रोनों का इस्तेमाल किया.
- मध्य-पूर्व (इजरायल-गाज़ा संघर्ष): हमास और हिजबुल्लाह ने सैकड़ों ड्रोन से हमले किए, वहीं इजरायल ने आयरन डोम और लेज़र सिस्टम से उनका जवाब दिया.
- अजरबैजान-आर्मेनिया टकराव: अजरबैजान ने तुर्की के Bayraktar TB2 ड्रोन से आर्मेनिया की सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया.
- भारत-पाकिस्तान तनाव: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने दिखा दिया कि स्वार्म ड्रोन और सशस्त्र (Unmanned Aerial Vehicle) मिलकर कैसे दुश्मन के एयर डिफेंस को चीर सकते हैं.
भारतीय सेना की नई योजना
- हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन प्लाटून होगा.
- आर्टिलरी रेजीमेंट्स को काउंटर-ड्रोन सिस्टम और लॉइटरिंग म्यूनिशन से लैस किया जाएगा.
- ड्रोन ट्रेनिंग सेंटर देहरादून (IMA), महू (इन्फैंट्री स्कूल) और चेन्नई (OTA) में शुरू किए जा चुके हैं.
- सेना 19 और ट्रेनिंग सेंटर बनाने, 1,000 ट्रेनिंग ड्रोन और 600 सिम्युलेटर खरीदने की तैयारी कर रही है.