
डेस्क: हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) से जुड़ी हुई एक बड़ी खबर सामने आई है. CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य बीमा की प्रीमियम (Premium) बढ़ोतरी को सीमित करने की दिशा में भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) एक बड़ा कदम उठाने की सोच रहा है. IRDAI जल्द ही इससे जुड़ा एक कंसल्टेशन पेपर (consultation Paper) जारी कर सकता है, जिसमें स्वास्थ्य बीमा की प्रीमियम बढ़ोतरी को कंट्रोल करने के नियमों का प्रपोजल होगा. इसका मकसद है कि बीमा कंपनियां मनमाने ढंग से प्रीमियम न बढ़ाएं और आम लोग आसानी से स्वास्थ्य बीमा ले सकें.
इस कदम से बीमा क्षेत्र को मजबूत करने के साथ-साथ पॉलिसीधारकों के लिए खर्च को किफायती रखने की कोशिश की जा रही है. IRDAI का मानना है कि कई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी शुरू में कम प्रीमियम के साथ आती हैं, लेकिन समय के साथ इनके दाम बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं. इससे लोगों के लिए बीमा को जारी रखना मुश्किल हो जाता है.
खासकर, जो लोग बुजुर्ग नहीं हैं, उन्हें प्रीमियम में भारी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि IRDAI ने बुजुर्गों (60 साल से ऊपर) के लिए प्रीमियम बढ़ोतरी को 10% तक सीमित कर दिया है. इससे युवा पॉलिसीधारकों पर ज्यादा बोझ पड़ रहा है. IRDAI अब पूरे बीमा पोर्टफोलियो के लिए प्रीमियम बढ़ोतरी को मेडिकल महंगाई के आधार पर सीमित करने की योजना बना रहा है, ताकि सभी के लिए बीमा किफायती रहे.
स्वास्थ्य बीमा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. 2025 में, सामान्य बीमा उद्योग की कुल प्रीमियम आय का लगभग 40% हिस्सा स्वास्थ्य बीमा से आने की उम्मीद है. कोविड महामारी के बाद अस्पतालों के खर्च और क्लेम में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण बीमा कंपनियां प्रीमियम बढ़ा रही हैं. लेकिन IRDAI का कहना है कि कंपनियों को अपने खर्चों को कम करने पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि प्रीमियम बढ़ाने की जरूरत कम पड़े. उदाहरण के लिए, ICICI लोम्बार्ड की कुल प्रीमियम आय का 30% स्वास्थ्य बीमा से आता है, जबकि न्यू इंडिया इंश्योरेंस का 50% हिस्सा इस सेगमेंट से है. वहीं, गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस का स्वास्थ्य बीमा में हिस्सा केवल 14% है. इससे पता चलता है कि स्वास्थ्य बीमा हर कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी निर्भरता अलग-अलग है.
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