
नई दिल्ली । शादी खत्म (The marriage is over)करने के लिए सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) पहुंचे एक कपल के केस (Cases of couples)ने न्यायाधीशों को भी दुखी(The judges are also unhappy) कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने शादी को खत्म करने का फैसला सुना दिया है और साथ ही जीवन में आगे बढ़ने की सलाह दी है। खास बात है कि अदालत ने यह भी माना है कि यह अब तक के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक था। जस्टिस अभय ओक की अगुवाई वाली बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।
मई 2020 में हुई शादी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खत्म कर दिया गया। साथ ही कपल की तरफ से एक-दूसरे पर लगाए गए 17 मुकदमों को भी खत्म कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा है कि जोड़ों को सलाह दी जाती है कि अब शांति से रहें और जीवन में आगे बढ़ें। कोर्ट ने कहा, ‘पार्टियां युवा हैं। उन्होंने अपने भविष्य की ओर देखना चाहिए। अगर शादी असफल हो गई है, तो यह दोनों के लिए जीवन का अंत नहीं है। उन्हें आगे देखना चाहिए और नया जीवन शुरू करना चाहिए।’ साल 2020 में हुई शादी के बाद से ही महिला अपने माता-पिता के घर में रहे रही थी। इसकी वजह रिश्ते में खटास पड़ जाना है।
अदालत ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक करार दिया है, जहां एक साल में ही पत्नी को मजबूर होकर ससुराल छोड़ना पड़ा। उन्होंने पति और ससुरालवालों की तरफ से परेशान किए जाने के आरोप लगाए थे। कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को सलाह दी है कि केस लड़ना व्यर्थ होगा, क्योंकि यह लंबे समय तक चल सकते हैं। वकीलों ने अदालत से संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल कर शादी खत्म करने का अनुरोध किया।
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