
इंदौर। शासन द्वारा नया वेब जीआईएस 2.0 पोर्टल लागू किया गया, जिसका उद्देश्य किसानों और आम नागरिकों को ऑनलाइन भू-अभिलेख संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराना था, लेकिन यह पोर्टल पटवारी और आम जनता दोनों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। कामकाज में कठिनाई के साथ तकनीकी त्रुटियां सामने आ रही हैं। पिछले कई दिनों से पोर्टल पर काम नहीं हो पा रहा है। आदेश पर अमल, डायवर्शन, नक्शा विभाजन और केवाईसी के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। इसके खिलाफ अब पटवारियों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है और चेतावनी दी है कि यदि 1 सितंबर तक सुधार नहीं हुआ तो वह पोर्टल का उपयोग बंद कर देंगे।
वेब जीआईएस पोर्टल शुरू से परेशानी का कारण बन रहा है। शुरू करते ही इसका प्रदेशभर में विरोध हुआ था और अधिकारी भी विरोध में नजर आए थे। उसके बावजूद शासन ने कोई खास सुधार नहीं किया। नया वर्जन लॉन्च तो किया, लेकिन वर्तमान में शुरू हुए वेब जीआईएस 2.0 में भी काम सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। बताया जाता है कि पिछले कई दिनों से पोर्टल पर काम नहीं होने के कारण नामांतरण, बंटवारा और डायवर्शन जैसे काम प्रभावित हो रहे हैं। भू-अभिलेख व्यवस्था लंबे समय से डिजिटलीकरण की प्रक्रिया से गुजर रही है। सरकार जमीनों से जुड़े सभी काम ऑनलाइन करना चाहती है, लेकिन नया पोर्टल यूजर फ्रेंडली नहीं है। बार-बार सर्वर डाउन रहने से कार्य बाधित होता है।
किसानों को समय पर खसरा, बी1, नामांतरण एवं नकल जैसी सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। समय पर काम नहीं होने के चलते सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों का अंबार लग जाता है। वहीं कलेक्टर द्वारा भी समय-समय पर समीक्षा के दौरान पटवारी को दंडित किया जाता है। पूर्व में जिला स्तर पर भी पटवारी संघ द्वारा कई बार ध्यान आकर्षित कराया गया, लेकिन अब तक कहीं सुधार नहीं हुआ है। यदि शासन-प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई तो 1 सितंबर से पूरे प्रदेश के पटवारी पोर्टल पर कार्य करना बंद कर देंगे। हालांकि सामान्य कार्य करेंगे, लेकिन इस पोर्टल का बहिष्कार कर देंगे। हाल ही में तहसीलदार भी अपनी मांगों को लेकर 13 दिन के विरोध प्रदर्शन पर बैठे थे, जिसके बाद कई फाइलें पेंडिंग हो गई हैं। अब इन्हें तेजी से निपटाया जा रहा है।
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