नई दिल्ली। नवंबर 2025 में श्रीलंका को चक्रवात दित्वा ने बुरी तरह प्रभावित किया। इस प्राकृतिक आपदा (Natural disaster) से देश में भयंकर बाढ़, भूस्खलन और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा। हजारों लोग प्रभावित हुए, सैकड़ों की मौत हुई और सड़कें, पुल तथा रेलवे लाइनें क्षतिग्रस्त हो गईं। श्रीलंका सरकार ने आपदा के बाद पुनर्निर्माण और राहत कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी। इसमें चीन और भारत ने सबसे आगे बढ़कर सहायता प्रदान की। इस बीच श्रीलंका ने सोमवार को चक्रवात दित्वा से क्षतिग्रस्त हुए पुलों और रेलवे पटरियों के पुनर्निर्माण के लिए चीन से तत्काल सहायता मांगी।
दरअसल, चक्रवात के कारण श्रीलंका में भारी बाढ़, भूस्खलन और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचा है। इस कारण ॉआपदा प्रबंधन क्षमता पर भारी दबाव पड़ा है। ऐसे में श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिथा हेराथ ने चीनी राजदूत क्वी झेनहोंग से मुलाकात कर चक्रवात से क्षतिग्रस्त पुलों और रेल पटरियों के पुनर्निर्माण में तुरंत मदद देने का अनुरोध किया। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, हेराथ ने चीन से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का भी आग्रह किया, क्योंकि श्रीलंका में चीन से आयातित इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ रही है।
चीनी राजदूत ने श्रीलंका को उबरने और पुनर्निर्माण में मदद का वादा किया। चक्रवात के तुरंत बाद चीन ने 10 लाख अमेरिकी डॉलर की नकद सहायता और लगभग इतनी ही मूल्य की राहत सामग्री प्रदान की थी। कोलंबो स्थित आपदा प्रबंधन केंद्र (डीएमसी) के अनुसार, भूस्खलन, बाढ़ और भारी बारिश से व्यापक तबाही हुई, जिसमें 16 नवंबर से अब तक 638 लोगों की मौत हो चुकी है और 175 लोग अभी भी लापता हैं।
भारत ने भी की मदद
दूसरी ओर, भारत ने भी चक्रवात दित्वा से उबरने में श्रीलंका की खुलकर मदद की। भारत ने 450 मिलियन डॉलर की सहायता देने का वादा किया है। चक्रवात के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में कोलंबो गए और राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात की। इतना ही नहीं, चक्रवात के बाद भारत ने ऑपरेशन सागर बंधु शुरू किया। इसके तहत कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंका सरकार की राहत प्रयासों को मजबूत करने के लिए मानवीय सहायता, राहत सामग्री और चिकित्सा मदद प्रदान की तथा वितरण में सहयोग किया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया था कि भारतीय सेना ने कैंडी के पास 85 मेडिकल कर्मियों के साथ एक फील्ड अस्पताल स्थापित किया, जिसने 8000 से अधिक लोगों को आपातकालीन उपचार दिया। इसके अलावा तूफान में फंसे लोगों को भारतीय वायुसेना ने एयरलिफ्ट किया।
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