
इंदौर, प्रदीप मिश्रा। अब बुजुर्गों अथवा सीनियर सिटीजन की देखभाल के लिए शिक्षित युवक-युवतियां एक साल का डिप्लोमा कोर्स कर इस क्षेत्र में भी कॅरियर बना सकेंगे। आईटीआई नन्दानगर अधिकारियों के अनुसार इस डिप्लोमा कोर्स के अंतर्गत 10वीं पास शिक्षित युवक-युवतियों को 12 माह तक थ्योरिकल और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग मतलब प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस 1 वर्षीय कोर्स को जेरियाट्रिक केयर डिप्लोमा कोर्स नाम दिया गया है।
पहली बार शुरू होने जा रहे इस डिप्लोमा कोर्स के लिए सिर्फ 24 स्टूडेंट्स को ही एडमिशन दिए जाएंगे। यह कोर्स अगस्त माह से शुरू हो जाएगा। अभी तक 2 स्टूडेंट्स के एडमिशन ले चुके हैं और एडमिशन जारी है। अधिकारी ने बताया कि ओल्ड सिटीजन होम या वृद्धाश्रम ही नहीं, बल्कि कुछ मजबूरियां या कई व्यस्तताओं के चलते कई सम्पन्न परिवारों को भी अपने बुजुर्ग माता-पिता या दादा-दादी की देखभाल और सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित युवक- युवतियों की आवश्यकता महसूस होने लगी है।
वेतन के साथ सेवा, सुकून, आशीर्वाद और पुण्य भी
यह 1 वर्षीय डिप्लोमा कोर्स करने के बाद प्रशिक्षित युवक-युवतियां और सीनियर सिटीजन या वृद्धाश्रम यह एक-दूसरे के लिए बहुत बड़ा सहारा बन संकेंगे। इससे जहां बेरोजगार युवक-युवतियों को जॉब मिल सकेगा, वहीं दूसरी तरह बुजुर्गों, निराश्रितों को अपनी देखभाल के लिए विश्वसनीय और पढ़ा-लिखा ट्रेंड मतलब प्रशिक्षित स्टाफ मिल सकेगा। इससे एक तरह से बुजुर्गों को सुरक्षा मिलेगी, वहीं इनकी देखभाल करने का जॉब करने वाले युवक-युवतियों को वेतन के साथ इनकी आत्मीय सेवा से सुकून, आशीर्वाद और पुण्य भी मिल सकेगा।
एक साल के डिप्लोमा कोर्स में यह प्रशिक्षण दिया जाएगा
यह डिप्लोमा कोर्स करने वाले युवक-युवतियों को यह सिखाया जाएगा कि जॉब के लिए अनुबंध होने के बाद उनकी क्या-क्या मुख्य जिम्मेदारियां रहेंगी।
-बुजुर्गों को टहलाना, उन्हें घूमना और हल्के व्यायाम में उनकी सहायता करना, उनके या डॉक्टर के अनुसार भोजन बनाना या तैयार करना, इसके अलावा उनकी साफ-सफाई करना, बिस्तर बिछाना ।
-बुजुर्गों के आवास स्थल यानि रूम मतलब कमरे में साफ-सफाई का ध्यान रखना, स्नान कराना, कपड़े पहनाना या पहनने में मदद करना, यदि वह चाहे तो उनके सौंदर्य प्रसाधन में उनकी सहायता करना।
-कपड़े धोना या धुलवाना उन पर प्रेस करना या करवाना, दवाइयों और फल की व्यवस्था करना।
-शारीरिक और मानसिक व्यायाम में उनकी मदद करना, दवा लेने के लिए याद दिलाना या खुद देना।
-हेयर सैलून, फिजिकल थेरेपी आदि के लिए साथ जाना, आध्यात्मिक या धार्मिक आयोजनों में साथ ले कर जाना, उनके मनोरंजन का ध्यान रखना, यदि वह चाहे तो उनके साथ खेल खेलना।
-कुल मिलाकर वृद्धावस्था वाले बुजुर्गों की देखभाल करने वाले को उनकी शारीरिक, मानसिक और उनके स्वास्थ्य की देखभाल के अलावा घरेलू काम करने के साथ-साथ उनके एक भावनात्मक साथी के रूप में उन्हें सम्बल, समर्थन और सहारा देना है।
शहर, प्रदेश और देश में ओल्ड सिटीजन और वृद्धाश्रमों की संख्या हर साल बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसलिए 10वीं पास युवक-युवतियों को डिप्लोमा कोर्स करने के बाद इस नए क्षेत्र में कॅरियर बनाने की अपार सम्भावनाएं हैं। इस देश में ही नहीं,बल्कि यहां से ज्यादा अवसर विदेशों में भी है।
-विपिन पुरोहित आईटीआई, नन्दानगर इन्दौर
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved