
डेस्क: राजस्थान (Rajasthan) के जंगलों (Forests) में बाघों की दहाड़ बनी रहे, इसके लिए राज्य सरकार (State Goverment) ने बाघ संरक्षण (Tiger Conservation) की रणनीति को और धार देने का फैसला किया है. शुक्रवार को जयपुर (Jaipur) स्थित अरण्य भवन में राजस्थान बाघ संरक्षण फाउंडेशन की तीसरी बैठक आयोजित की गई. वन मंत्री संजय शर्मा की अध्यक्षता में हुई इस अहम बैठक में पांच टाइगर रिजर्व- रणथम्भौर, सरिस्का, मुकुंदरा, रामगढ़ विषधारी और प्रस्तावित धौलपुर रिजर्व—की ताजा स्थिति, चुनौतियों और भावी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई.
बैठक में तय हुआ कि बाघों की निगरानी और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन और ई-गश्त प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। इसके जरिए ना केवल बाघों की मूवमेंट पर नज़र रखी जाएगी, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम में भी मदद मिलेगी. वन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्थानीय समुदायों को भी जागरूक किया जाए, ताकि वे नियमों का पालन करें और संरक्षण में भागीदार बनें.
टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों के लिए साफ-सफाई, मूलभूत सुविधाएं और डिजिटल बुकिंग को बेहतर बनाने के निर्देश भी दिए गए. ई-गवर्नेंस के तहत वन विभाग की वेबसाइट को तेज़ और उपयोगी बनाने की बात हुई. इसके साथ ही प्रदेश के मेधावी छात्रों के लिए निःशुल्क जंगल भ्रमण कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया ताकि उनमें पर्यावरण के प्रति रुचि और जिम्मेदारी दोनों विकसित हो.
वन विभाग ने बताया कि बाड़बंदी, मुआवजा वितरण में तेजी और ग्रामीणों से संवाद जैसे उपायों से संघर्ष की घटनाएं घट रही हैं. वनकर्मियों और स्थानीय लोगों के लिए जीवन बीमा योजना भी चलाई जा रही है. बैठक में अनिल अग्रवाल फाउंडेशन द्वारा रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के लिए एक करोड़ रुपये मूल्य के पेट्रोलिंग वाहन और एंटी-पोचिंग कैंप स्थापित करने के एमओयू को भी मंजूरी दी गई. यह निजी भागीदारी राज्य के टाइगर संरक्षण में बड़ा योगदान साबित हो सकती है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved