
उनकी वफादारी पर हम नाज जताते हैं, लेकिन जब वह हिंसक हो जाएं…मासूमों को नोंचने लग जाएं…राह चलतों को शिकार बनाएं… झुंड में आकर हमला करने की प्रवृत्ति दिखाएं तो हम कैसे जीवदया दिखाएं…अपनों की लाश पर पैर रखकर कैसे उन कुत्तों को गले लगाएं, जो डरावने होकर सडक़ों पर खूनी खौफ दिखा रहे हैं…एक नहीं दिल दहलाने वाली अनेक घटनाओं को झेलते देश ने सर्वोच्च अदालत के एक फैसले से राहत पाई ही थी कि तथाकथित पशुप्रेमियों की कुत्तों पर उमड़ी दया ने इंसानों की चीखों को दबा दिया और सर्वोच्च न्यायालय की दूसरी पीठ ने फैसले को उस फासले पर फैलाकर खड़ा कर दिया, जिसमें जहां व्यावहारिकता की कमी है, वहीं समस्या का निराकरण नदारद है…जानवरों पर दया मानव का स्वभाव है…हम उन्हें पाल सकते हैं…उन्हें खिला सकते हैं…उन्हें ओढ़ा सकते हैं, लेकिन अपने बच्चों को उनके आक्रोश की भेंट नहीं चढ़ा सकते हैं…राह चलते अपनी जान नहीं गंवा सकते हैं…सडक़ों पर विचरण करते उनके आतंक से इंसानी फजीहतें हमने कई बार देखी हैं…बहता खून…फटता शरीर और पागलपन की हद तक पहुंचते भविष्य का खौफ यदि इंसानों की सभ्यता पर नजर आए और चंद पशुप्रेमियों की वकालत इस दरिंदगी का जवाब नहीं दे पाए तो फैसला इंसानियत के पक्ष में आना चाहिए…यदि इन कुत्तों का बसेरा आबादी से दूर बसाया जाएगा तो इंसानों का पशुप्रेम कम नहीं हो जाएगा…लेकिन अदालत के फैसले ने कई अव्यावहारिक निर्णय देते हुए सार्वजनिक स्थानों पर खाना नहीं डालने…उनके फीडिंग पॉइंट बनाने और लोगों के बीच पालने के निर्देश दिए…अदालत का यह निर्णय कुत्तों के स्वभाव के ही विपरीत है…कुत्ते अपना इलाका छोडक़र कहीं नहीं जाते और अपने इलाकों में दूसरे कुत्तों को आने तक की इजाजत नहीं देते…ऐसे में पूरे शहर में उनके फीडिंग पॉइंट बनाना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि संभव भी नहीं है…वैसे भी कुत्तों के फीडिंग स्टेशन बना भी दिए जाएं तो उनके मल की गंदगी कौन हटाएगा…शहर की स्वच्छता का दाग कैसे मिटाया जाएगा… अदालत के फैसले से कुत्तों की नसबंदी के नाम पर किया जा रहा भ्रष्टाचार और बढ़ जाएगा… इंदौर शहर में ही हर साल करोड़ों रुपए नसबंदी के नाम पर लुटाए जाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि कुत्तों की आबादी हर गली-मोहल्ले में पिल्लों के रूप में नजर आती है, जो कुत्तों की नसबंदी का मखौल उड़ाती है… अदालत के आदेश के बाद अब तो यह तय हो गया है कि हमें कुत्तों के साथ ही रहना है…कुत्तों से लडऩा है और जान हथेली पर लेकर चलना है…
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