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ओबीसी आरक्षण को अधिकारी समझा नहीं पाए, सरकार समझ नहीं पाई

December 28, 2021

  • याचिका लगाने वाले मनमोहन नागर ने कहा पंचायत चुनाव रोटेशन से होते हैं, मैंने कोर्ट से वही मांगा

भोपाल। प्र्रदेश पंचायत चुनाव में रोटेशन-परिसीमन के प्रावधानों के उल्लंघन पर भोपाल के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं भाजपा नेता रहे मनमोहन नागर ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका को लेकर नागर ने कहा कि मेरी याचिका में कहीं भी ओबीसी आरक्षण नहीं लिखा था। मैंने याचिका में रोटेशन, परिसीमन और आरक्षण का उल्लेख किया था, लेकिन सरकार से चूक हुई। न तो सरकार इसे समझ पाई और न ही अफसर समझा पाए। इसके चलते अब फिर से कोर्ट जाऊंगा।



नागर ने कहा कि रोटेशन, परिसीमन और आरक्षण पर आपत्ति थी। इसे लेकर कोर्ट गए थे। पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार ने परिसीमन कराने के बाद आरक्षण और रोटेशन कराया था। शिवराज सरकार ने इसे कैंसिल कर दिया, जो एक्ट के खिलाफ था। हमें लगा कि हमारा हनन हो रहा है, इसलिए हम कोर्ट चले गए। पंचायत एक्ट हर १० साल में परिसीमन कराने की बात कहता है। वर्ष १९९४ के बाद २०००, २००५ और २०१० में आरक्षण हुआ था। हर पांच साल में आरक्षण हो रहा और चक्रीय कोरम में सीट घूम रही है। जो एक्ट में लिखा था उसके आधार पर हम कोर्ट गए। हमें १०० विश्वास था कि कोर्ट हमें रिलीफ देगा। हमारी याचिका में कहीं भी ओबीसी आरक्षण नहीं लिखा था। हम दोबारा कोर्ट जा रहे हैं। वकील के माध्यम से याचिका भी लगा दी है। सरकार की चूक हुई है। इसके कारण ओबीसी वर्ग को वंचित रहना पड़ा। नागर ने कहा कि मैं खुद भी ओसीबी वर्ग से हूं। मैं इसी वर्ग से जिला पंचायत अध्यक्ष बना हूं। मेरी याचिका में कहीं भी ओसीबी का नाम नहीं है। याचिका में रोटेशन, परिसीमन और आरक्षण का उल्लेख था। सबको आरक्षण का लाभ लेने का अधिकार है। सरकार की गलत नीतियों से यह काम हुआ है। अधिकारी समझा नहीं पाए और सरकार समझ नहीं पाई। इस कारण यह सब हुआ है।

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