
डेस्क: पश्चिम बंगाल (West Bengal) की कैबिनेट ने गुरुवार को एक अहम नीति को मंजूरी दी है. इस नीति के तहत गैर-आवासीय प्लॉट (Non-residential Plots) को रियल एस्टेट (Real Estate) और हाउसिंग में बदलने की अनुमति दी गई है. बंगाल सरकार का यह कदम राज्य में कम उपयोग की जाने वाली जमीन को मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने इस नई नीति को मंजूरी दी है, जो शहरी विकास और नगरपालिका विभाग के अधीन आने वाले गैर-आवासीय प्लॉट पर लागू होगी.
एक अधिकारी ने बताया कि दशकों पहले खाली पड़ी जमीन में से कई प्लॉट औद्योगिक इकाइयों को कर्मचारियों के लिए आवास के लिए दिए गए थे. ये आवास अक्सर 99 साल या उससे ज्यादा समय के लिए दिए जाते थे, लेकिन अब इसका एक बड़ा हिस्सा इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मंजूर की गई नई नीति के तहत सरकार की तरफ से तय की जाने वाली फीस के आधार पर इन प्लॉट को बदलने की प्रक्रिया शुरू होगी. उन्होंने कहा कि फीस संरचना और उसके कार्यान्वयन की विस्तृत गाइडलाइन आने वाले कुछ हफ्तों में जारी कर दी जाएगी.
इस आवास नीति के अलावा कैबिनेट ने कई अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है, जिसमें प्रशासन, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सांस्कृतिक धरोहर के विकास को लेकर कई प्रस्ताव शामिल हैं. प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार अलग-अलग विभागों में 18 नए पदों की भर्ती निकालेगी, जिसमें वित्त, मत्स्य पालन और महिला एवं बाल विकास विभागों के साथ-साथ राज्यपाल कार्यालय में दो अस्थायी वरिष्ठ स्तर के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) के पद शामिल हैं.
अधिकारी ने बताया कि कैबिनेट ने 11 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में बड़े पैमाने पर नर्सिंग स्टाफ की भर्ती को भी मंजूरी दी है. इसके अलावा, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर और जलपाईगुड़ी सहित कुछ जिलों में राजबंशी और कामतापुरी भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा शुरू करने की भी मंजूरी दी गई है. अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में सिर्फ 12 पैरा-शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, जिनमें से 10 कामतापुरी माध्यम के स्कूलों में और दो राजबंशी स्कूलों में होगी.
अधिकारी ने बताया कि सांस्कृतिक धरोहर के विकास के लिए सरकार ने रामकृष्ण और शारदा देवी के जन्मस्थानों से जुड़े क्षेत्रों के लिए एक विकास बोर्ड के गठन को भी मंजूरी दी है. यह बोर्ड विशेष परियोजनाओं के जरिए उन ऐतिहासिक क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर और सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण के कार्यों की देखरेख करेगा.
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