
नई दिल्ली । यूपी(UP) के फतेहपुर शहर(Fatehpur City) के आबूलेन स्थित जिस विवादित स्थल(Disputed sites) पर मकबरा(Tomb) होने का दावा किया जा रहा है, उस स्थल के पुराने नक्शे में कहीं भी मकबरे का उल्लेख(Mention of the tomb) नहीं है। यह दावा किया है 55 साल पहले बैनामे के जरिये जमीन खरीदने वाले स्व. रामनरेश सिंह के बेटे विजय प्रताप सिंह ने। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्थल पुराने किले की मंदिर नुमा धरोहर के रूप में था। वर्ष 2007 के बाद फर्जी कागजात के आधार पर उसे राष्ट्रीय धरोहर और मकबरा बताने की कहानी गढ़ी गई।
जिला प्रशासन को दस्तावेज सौंपने पहुंचे विजय प्रताप सिंह ने बताया कि फसली 1379 में उक्त जमीन जमींदार परिवार की शकुंतला मान सिंह पत्नी स्व. नागेश्वर मान सिंह के नाम अंकित है। जमीन पर किसी प्रकार का विवाद नहीं होने पर वर्ष 1970 में पिता स्व. रामनरेश सिंह ने 10 बीघा 18 बिस्वा जमीन का बैनामा कराया था। राजस्व अभिलेखों में पिता का नाम अंकित था। बताया कि वर्ष 2007 में कथित मुतवल्ली अनीस ने फर्जी अभिलेखों के जरिये वाद दायर किया। वृद्ध व बीमार पिता अधिवक्ता से संपर्क नहीं कर पाए। नतीजन कोर्ट ने पैरवी के अभाव में एकपक्षीय आदेश जारी कर दिया। पिता ने आदेश को रिकॉल कराने के लिए पुर्नस्थापना प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसे कोर्ट ने निस्तारित कर दिया। वर्ष 2015 में जिला जज की अदालत में वाद योजित किया। फरवरी 2023 को अदालत ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के 17 दिसंबर 2014 के आदेश को रद्द कर दिया। इस बीच मुतवल्ली ने कोर्ट केस की जानकारी होने पर एसडीएम के आदेश को लेकर हाईकोर्ट में रिट डाली थी।
फतेहपुर बवाल की सीबीआई जांच को पीआईएल
फतेहपुर बवाल की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन महाराष्ट्र के अध्यक्ष मोहम्मद यूसुफ की ओर से दाखिल जनहित याचिका में पूरे प्रकरण की सीबीआई या फिर न्यायिक आयोग से जांच का निर्देश देने की मांग की गई है। साथ ही फतेहपुर में गत 11 अगस्त को हुए बवाल के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। जनहित याचिका में प्रदेश व स्थानीय अधिकारियों सहित फतेहपुर के भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल व अध्यक्ष हिंदू महासभा मनोज त्रिवेदी को विपक्षी के रूप में पक्षकार बनाया गया है। याची की अधिवक्ता सहेर नकवी व मोहम्मद आरिफ ने बताया कि फतेहपुर बवाल सोची समझी साजिश का नतीजा है। याचिका में स्थानीय पुलिस अधिकारियों पर उपद्रवियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने व गिरफ्तारी न करने का आरोप लगाया गया है।30 जून 1985 के यूपी मुस्लिम वक्फ एक्ट के कागजात को जिला जज की अदालत में प्रतिवादी द्वारा पेश किया गया था। इसमें मकबरा औरंगजेब बाके करीब ईदगाह आबूनगर के चौहद्दी का जिक्र है। इसमें मकबरे के पूरब, पश्चिम, उत्तर दक्षिण रामनरेश सिंह की जमीन (खेत) का भी उल्लेख है।
फतेहपुर बवाल की रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी
फतेहपुर में विवादित मकबरे को लेकर हुए उपद्रव की रिपोर्ट डीजीपी मुख्यालय को भेज दी गई है। यहां पूरी रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद उसे शासन भेजा जाएगा। प्रयागराज कमिश्नर और आईजी प्रयागराज ने करीब 80 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर ही दोषी अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री के निर्देश पर होगा। रिपोर्ट में हिन्दूवादी संगठनों के साथ स्थानीय प्रशासन व पुलिस अफसरों की लापरवाही का भी जिक्र किया गया है। कुछ स्थानीय नेताओं को भी उपद्रव के लिए उकसाने का दोषी बताया गया है। 11 अगस्त को हुए इस बवाल पर शासन ने प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत और आईजी रेंज अजय मिश्रा को जांच सौंपी थी। दोनों ने अफसरों ने छह दिन तक घटनास्थल पर निरीक्षण किया। कई लोगों के बयान लिए। इसमें सभी पक्ष और अफसरों से पूछताछ की गई। बताया जाता है कि रिपोर्ट में मकबरा की जमीन गाटा संख्या 753 को राष्ट्रीय सम्पत्ति बताया गया है। इसमें मालिकाना हक सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड में दर्ज होने की बात भी कही गई है। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कुछ अफसरों के बवाल होने के काफी देर बाद मौके पर पहुंचने की पुष्टि की गई है। रिपोर्ट में पुराने आदेश और कुछ दस्तावेजों का भी जिक्र किया गया है।
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