नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों (agricultural laws) को लेकर देश में लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन (peasant movement) को देखते हुए आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानून (agricultural laws) को निरस्त करने की घोषणा कर ही दी है, तो वहीं इस मामले पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बावजूद वह सरकार से बिना बात किए घर नहीं जाएंगे। टिकैत ने अपने ही अंदाज में पीएम मोदी पर तंज कसा, हालांकि किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि पीएम अचानक इस तरह की घोषणा कर देंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी के कृषि कानून को रद्द करने के ऐलान के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या किसान आंदोलन अब खत्म हो जाएगा। पीएम मोदी के फैसले के बाद किसानों के मन में क्या चल रहा है, इसपर किसान नेता राकेश टिकैत ने बात की है। राकेश टिकैत ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने तीन विवादित कृषि कानून को रद्द करने की घोषणा टीवी पर की है, लेकिन अगर किसानों को कल किसी से बातचीत करनी पड़ी तो वह किससे करेंगे। उन्होंने कहा कि 750 किसान शहीद हुए, 10 हजार मुकदमे हैं। बगैर बातचीत के कैसे चले जाएं। प्रधानमंत्री ने इतनी मीठी भाषा का उपयोग किया कि शहद को भी फेल कर दिया। टिकैत ने कहा कि हलवाई को तो ततैया भी नहीं काटता। वह ऐसे ही मक्खियों को उड़ाता रहता है।
वहीं दूसरी तरफ कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अहंकार की हार करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया है कि इन कानूनों के संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी हमेशा से सही थे।उन्होंने कहा कि ‘यह निश्चित ही किसानों के लिए ऐतिहासिक जीत है। आजादी के बाद से देश ने किसानों का कभी इतना बड़ा प्रदर्शन नहीं देखा। भाजपा ने शुरुआत में सोचा कि यह प्रदर्शन शांत हो जाएगा, जैसा कि वह मानती है कि देश में केवल वही अनुशासित राजनीतिक ताकत है। भाजपा और हमारे प्रधानमंत्री ने किसानों की लड़ाई की भावना को गलत समझा। यह भाजपा के अहंकार की हार है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में हार को भांपते हुए भाजपा सरकार ने कानून निरस्त किया है।
कांग्रेस की कार्यकारी समिति के सदस्य चौधरी ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने पहले ही कहा था कि केंद्र को तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए विवश होना पड़ेगा और उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई है।
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