
वाशिंगटन। अमेरिका (America) के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Former National Security Advisor- NSA) जॉन बोल्टन (John Bolton) ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (India and Pakistan ceasefire) को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) द्वारा किए गए दावे को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि क्रेडिट लेना ट्रंप की आदत है। इसे व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया जाना चाहिए। बोल्टन ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा, “डोनाल्ड ट्रंप हर चीज का श्रेय खुद को देते हैं। यह भारत के खिलाफ कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि यह मुमकिन है कि ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बात की हो, लेकिन इस तरह कूदकर श्रेय लेना ट्रंप की पुरानी आदत है।
बोल्टन ने आगे कहा कि ट्रंप का यह रवैया कई लोगों को परेशान कर सकता है, लेकिन इसका मकसद भारत को निशाना बनाना नहीं है। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ ट्रंप का अंदाज है।”
आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने 10 मई को आपसी समझ के तहत जमीन, आकाश और समुद्र पर सभी सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला लिया। यह समझौता भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ, जिसके अंतर्गत भारतीय सेना ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के नौ ठिकानों पर निशाना साधा था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथपर दावा किया कि यह संघर्ष विराम अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ।
उन्होंने लिखा था, “अमेरिका की मध्यस्थता में रातभर चली बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम पर सहमति जताई है। दोनों देशों को सामान्य समझ और उच्च बुद्धिमत्ता के लिए बधाई!” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ने इस समझौते को संभव बनाने के लिए व्यापार का इस्तेमाल किया और कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश भी दोहराई।
भारत ने दावों को किया खारिज
भारत ने ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित कोई भी मुद्दा केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाएगा। मंत्रालय ने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं कि जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित मुद्दे केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से सुलझाए जा सकते हैं। हमारी नीति स्पष्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।”
साथ ही मंत्रालय ने इस बात का भी खंडन किया कि अमेरिका और भारत के नेताओं के बीच किसी भी बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र हुआ था। MEA ने कहा, “7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर 10 मई को संघर्ष विराम तक भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच सैन्य स्थिति पर चर्चाएं हुई थीं, लेकिन व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ।”
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