
मुंबई। भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) जस्टिस बी आर गवई (Justice B R Gavai) ने गुरुवार को न्यायालयों (Courts) में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया (Judges Appointment Process) को लेकर कुछ अहम टिप्पणियां की हैं। CJI गवई ने इस दौरान कॉलेजियम प्रणाली (Collegium system) में पूर्ण पारदर्शिता लाने का आश्वासन देते हुए कहा है कि इस प्रकिया के दौरान योग्यता को लेकर कभी समझौता नहीं किया जाएगा। बता दें कि पिछले महीने देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस गवई देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर उनकी पदोन्नति के सम्मान में मुंबई बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे।
कार्यक्रम के दौरान CJI गवई ने कहा कि उनके पहले CJI रहे जस्टिस संजीव खन्ना ने भी कॉलेजियम ने नियुक्तियों के मामलों में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, “मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि हम पूर्ण पारदर्शिता की प्रक्रिया अपनाएंगे। योग्यता से कभी समझौता नहीं किया जाएगा। हमारे पास समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधि होंगे।’’
CJI गवई ने किया बड़ा खुलासा
CJI गवई ने आगे एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि जब 2019 में उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई थी, तो कॉलेजियम में एक न्यायाधीश इसके पक्ष में नहीं थे। जस्टिस गवई ने नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘पिछले छह सालों से मैंने इसे गुप्त रखा था। जब मेरा नाम सुप्रीम कोर्ट के लिए चर्चा में था तो कॉलेजियम के एक न्यायाधीश को कुछ आपत्तियां थीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें लगता था कि अगर मुझे पदोन्नत किया गया तो मुंबई के कुछ वरिष्ठ वकीलों में बेचैनी पैदा हो सकती है। हालांकि मुंबई बार एसोसिएशन के कई वरिष्ठ वकीलों ने दिल्ली में उन जजों से मुलाकात की और उन्हें बताया कि उनकी धारणा गलत है।’’
मुंबई बार एसोशिएशन के ऋणी
जस्टिस गवई ने इस दौरान कहा है कि वे मुंबई बार एसोशिएशन के ऋणी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सदैव मुंबई बार एसोसिएशन का ऋणी रहूंगा। उनके बिना उच्चतम न्यायालय में मेरी पदोन्नति और उसके बाद सीजेआई के रूप में मेरी पदोन्नति कभी संभव नहीं होती।’’
मीडिया को इंटरव्यू ना देने का फैसला
जस्टिस गवई ने कहा कि जब उन्हें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, तो उन्होंने मीडिया को कोई भी इंटरव्यू देने ना देने का फैसला किया था। उन्होंने कहा, ‘‘अभी बोलने के बजाय मुझे लगा कि मुझे छह महीने बाद जब मैं सेवानिवृत्त हो जाऊंगा, तो अपने काम के आधार पर बोलना चाहिए। मैं खोखले वादे नहीं करना चाहता और किसी भी निराशा के लिए जगह नहीं छोड़ना चाहता।’’
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved