
पिछली बार 2018 में भी यही स्थिति थी, इसलिए कार्यकर्ताओं ने बेमन से किया था काम नतीजा सरकार से बाहर हो गई थी भाजपा, इस बार कार्यकर्ताओं की होगी पूछपरख
इंदौर। एक बार फिर भाजपा (BJP) को कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल बताकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने बड़े नेताओं को आईना दिखा दिया। इस बार जो सर्वे हुआ है, उसमें भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आई थी और उसी के कारण कई सीटों पर फिर भाजपा का गणित गड़बड़ा सकता था। वहीं क्षत्रपों की राजनीति के चलते भाजपा जिस ओर जा रही थी, उस पर केन्द्र की लगाम भी कल साफ नजर आई। पूरे सूत्र चुनाव प्रबंधन समिति के हाथ में थे, जिसमें मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर, भूपेन्द्र यादव, अश्विनी वैष्णव और कैलाश विजयवर्गीय (Narendra Singh Tomar, Bhupendra Yadav, Ashwini Vaishnav and Kailash Vijayvargiya) ही पूरी व्यवस्था संभाले हुए थे।
कल दोपहर बूथ सम्मेलन में पहुंचे अमित शाह ने देवी अहिल्या के नाम से अपने उद्बोधन की शुरुआत की। मंच पर सभी केन्द्रीय नेताओं के साथ-साथ प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ-साथ जनप्रतिनिधि तो मौजूद थे ही, वहीं इस बार सम्मेलन का संचालन प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती के हाथों में दिया गया। शाह ने अपने पूरे उद्बोधन में कार्यकर्ताओं को यही बताया कि किस योजना में कितनी राशि प्रदेश में खर्च की गई है। इसके साथ ही देश की सुरक्षा को लेकर भी उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार आने के बाद आतंकी हमले कम हुए हैं और अगर हुए तो उनका बदला लिया गया। केन्द्र द्वारा प्रदेश की चुनाव कमान हाथ में लेने के पहले टिकटों और नेतृत्व को लेकर भी घमासान प्रदेश में नजर आ रहा था, लेकिन कल सभी नेता सूत-सावल में नजर आए। शाह ने आखिर में स्पष्ट कहा कि मंच पर बैठे नेता नहीं, सामने बैठे कार्यकर्ता चुनाव जिताएंगे। इस पर बूथ अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं ने खूब तालियां बजार्इं। दरअसल सर्वे में भाजपा के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को लेकर बड़ी रिपोर्ट सामने आई है और यही स्थिति 2018 में थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कार्यकर्ताओं के महत्व को लेकर शाह ने इसलिए जोर दिया और नाराज लोगों को भी मनाने के लिए बैठक में कहा।
फिर दिखा विजयवर्गीय का दबदबा
15 दिन की तैयारियां मात्र दो दिन में करने वाले भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और उनकी टीम को लेकर प्रदेश और देश के नेताओं ने भी तारीफ की। लगातार हो रही बारिश के बीच बने डोम और कार्यकर्ताओं को लाने का प्रबंधन आखिरकार सफल हो ही गया। शाह की आगवानी के बाद विजयवर्गीय कार्यक्रम स्थल पर ही आखरी तक डटे रहे।
कुर्सियां कम पड़ी, कार्यकर्ता खड़े रहे
कल 50 हजार कुर्सियां लगाई गई थीं। इंदौर से बूथ अध्यक्षों को बुलाया गया था, लेकिन बूथों की टोली और त्रिदेव कार्यकर्ता भी आ गए। इस कारण कुर्सियां भर गईं और कई कार्यकर्ताओं को पीछे की ओर खड़े रहना पड़ा। सबसे ज्यादा भीड़ दो, पांच और राऊ विधानसभा के वार्डों से ही नजर आईं जो आयोजन स्थल के नजदीक थे। जिलों से बाहर के कार्यकर्ता जरूर कम आए।
ब्राह्मण संगठन बोले-कोई घोषणा नहीं की
सर्वब्राह्मण समाज संगठन के अध्यक्ष सत्यनारायण सत्तन और सचिव विकास अवस्थी का कहना था कि देश के इतने बड़े नेता जानापाव आए और किसी प्रकार की घोषणा ब्राह्मण समाज के लिए नहीं की, यह गलत है। उन्होंने कहा कि कम से कम चुनाव को देखते हुए तो उन्हें समाज के लिए कोई न कोई योजना लाना थी।
20 साल बाद बाहर आया बंटाढार का भूत
2003 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने दिग्विजयसिंह को मिस्टर बंटाढार बताकर लड़ा था और प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी। इसके बाद भाजपा बंटाढार का नाम भूल गई थी, लेकिन कल केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर बंटाढार का नाम लेकर 20 साल पहले की याद दिला दी। दरअसल दिग्गी और कमलनाथ दो ऐसे नेता हंै, जिनके भरोसे कांग्रेस चुनाव लड़ रही है और इन्हीं पर अब भाजपा हमलावर होगी। उन्होंने कमलनाथ को करप्शननाथ तो पहले से ही कहना शुरू कर दिया है।
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