
इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट से जुड़े लोग जब विजयनगर थाने के पीछे पहुंचे तो देखा कि यहां बड़ी संख्या में जब्ती की बस और ट्रक खड़े हैं। कुछ धंस गए हैं तो कुछ में पेड़ उग गए है। बाकी के वाहन भंगार हो चुके हैं। सभी को वहां से हटाया गया, ताकि प्रोजेक्ट का काम शुरू किया जा सके। बताते है कि यह 25 साल से यहां खड़े थे। यूं तो शहर के हर थाने में जब्ती के वाहन का अंबार लगा हुआ है। हर थाने में 100 से 200 गाडिय़ां जब्ती की पड़ी रहती हैं।
कुछ थानों में तो जगह नहीं होने के कारण गाडिय़ों को एक के ऊपर एक रखा गया है। हालांकि पिछले कुछ समय में पुलिस ने बड़ी संख्या में जब्ती के वाहनों को नीलाम किया है। बताते है कि दो हजार से अधिक वाहनों की नीलामी हुई है, लेकिन अभी भी शहर के थानों में यही हाल है। पुलिस का कहना है कि अवैध शराब, चोरी के केस लम्बे समय तक चलते हैं, इसके चलते उनको नीलाम नहीं किया जा सकता है। इसके चलते थानो में ऐसी स्थिति बनती है।
20 साल पहले एक गिरोह से जब्त किए थे ट्रक, कारें और बस
क्राइम ब्रांच ने 20 साल पहले छत्रीपुरा के एक गिरोह को पकड़ा था। जो चोरी की गाडिय़ों के फर्जी कागजात बनाकर बेचता था। पुलिस ने उससे 25 से अधिक कारें तथा बस-ट्रक जब्त किए थे। ये वाहन सालों से क्राइम थाने के बाहर खड़े हैं। इनमें से कई तो पूरी तरह से भंगार हो चुके हैं,। वहीं ये गाडिय़ां यातायात में भी बाधक बनी हुई हैं। एक ओर ट्रैफिक तो दूसरी ओर क्राइम ब्रांच का थाना है। सडक़ पर थाने के बाहर पड़ी गाडिय़ों के कारण यहां आए दिने जाम लगता रहता है और लोग परेशान होते हैं।
यातायात के साथ स्वच्छता में बाधक
शहर स्वच्छता में नंबर वन है, लेकिन इस तरह थानों के जब्ती के वाहन सडक़ पर सालों से खड़े हैं, जिसके चलते जहां ये यातायात में बाधक बन रहे हैं, वहीं स्वच्छता के लिए भी चुनौती बने हुए हैं। गाडिय़ों के कारण यहां चारों ओर गंदगी पड़ी रहती है। वाहन सालों से पड़े होने के कारण सफाईकर्मी भी यहां पर सफाई नहीं करते हैं, जिसके कारण चारों ओर गंदगी पसरी रहती है।
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