
इंदौर। नगर निगम की माली हालत खस्ता है और वेतन बांटने के भी टोटे हैं। दूसरी तरफ उसका पोर्टल ठप पड़ा है, जिसके चलते सम्पत्ति सहित अन्य करों की वसूली प्रभावित है। दूसरी तरफ निगम का कहना है कि 600 करोड़ रुपए तो जल कर के ही बकाया हैं, जिन्हें अब एक महीने की समयावधि में वसूल करने का लक्ष्य रखा गया है। अवैध कनेक्शनों को वैध करने के साथ बकाया राशि पर 50 फीसदी तक की छूट दी जा रही है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और जल समिति प्रभारी अभिषेक शर्मा बबलू और राजस्व समिति प्रभारी निरंजनसिंह चौहान ने मीडिया से चर्चा करते हुए अवैध नल कनेक्शनों को वैध करने के शुरू किए जाने वाले अभियान की भी जानकारी दी। महापौर ने बताया कि नगर निगम को जल वितरण पर ही सालाना सवा 400 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करना पड़ती है। जबकि वसूली 60-70 करोड़ रुपए ही हो पाती है।
इसमें सबसे अधिक खर्च बिजली का रहता है, क्योंकि जलूद से पानी इंदौर पहुंचाने पर बिजली का खर्च ज्यादा आता है। अभी एक माह का अभियान 5 फरवरी से शुरू किया जा रहा है, जिसमें अवैध नल कनेक्शनों को वैध तो किया ही जाएगा, वहीं पुरानी बकाया राशि के लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना लाई जा रही है, जिसमें 50 प्रतिशत बकाया राशि एकमुश्त जमा कराई जाएगी और शेष 50 फीसदी राशि को फ्रीज कर देंगे। इसमें आधा इंच के जो अवैध नल कनेक्शन हैं उनको भी वैध करने की दरें निर्धारित कर दी गई हैं, रेड झोन एक, दो, तीन और चार के लिए यह राशि आवासीय कनेक्शनों हेतु 6 हजार रुपए और रेड झोन 5, जो कि मलीन बस्ती में आता है उसके लिए ढाई हजार रुपए की राशि तय की गई है। इसी तरह व्यवसायिक कनेक्शनों के लिए 15 हजार रुपए और मलिन बस्ती के लिए 10 और 6 हजार रुपए तय किए गए हैं। दूसरी तरफ नगर निगम को इस भारी-भरकम राशि की वसूली में पसीने भी छूटेंगे और नेतागिरी भी आड़े आएगी।
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