देहरादून। उत्तराखंड में फर्जी बाबाओं (Fake Babas in Uttarakhand) के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन कालनेमि (Operation Called.) के तहत बड़ी कार्रवाई की गई है। अधिकारियों के मुताबिक, अब तक बांग्लादेशी समेत 300 से ज्यादा फर्जी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पिछले महीने से यह अभियान शुरू किया गया था।
4000 से अधिक संदिग्धों की पहचान
अधिकारियों ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान अब तक 4,000 से अधिक संदिग्ध व्यक्तियों की राज्यभर में पहचान और सत्यापन किया गया, जिन पर लोगों को ठगने और धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप था। इनमें से 300 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
जिलावार ऐक्शन
ऑपरेशन कालनेमि के तहत हरिद्वार में सबसे बड़ी कार्रवाई हुई, जहां 2,301 संदिग्धों की पहचान की गई और 162 लोगों को गिरफ्तार किया गया। देहरादून में 865 संदिग्धों की पहचान करते हुए 113 लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि ऊधमसिंह नगर में 17 गिरफ्तारियां हुईं। इसके अलावा राज्य के अन्य जिलों में भी यह अभियान लगातार जारी है और पुलिस संदिग्धों पर कड़ी निगरानी रखे हुए है।
देहरादून जिले के सहसपुर क्षेत्र में पुलिस ने एक बांग्लादेशी नागरिक रुक्न रकम उर्फ शाह आलम को भी पकड़ा, जो लंबे समय से बाबा बनकर लोगों को गुमराह कर रहा था। उसकी पहचान उजागर होने के बाद यह गिरफ्तारी पूरे अभियान में बड़ी सफलता मानी जा रही है।
कालनेमी का उल्लेख प्रमुख हिंदू ग्रंथों रामायण और महाभारत में मिलता है। रामायण के अनुसार, रावण के मामा मारीच का पुत्र कालनेमी साधु का वेश धारण कर हनुमानजी को भ्रमित करना चाहता था, ताकि वे संजीवनी बूटी न ला सकें। लेकिन हनुमान ने उसकी असलियत पहचानकर उसका वध कर दिया। महाभारत काल में यही कालनेमी कंस के रूप में पुनर्जन्म हुआ, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने मारा।
सीएम धामी ने ऑपरेशन लॉन्च करते समय कहा था कि जिस प्रकार राक्षस कालनेमी ने साधु का वेश धारण कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी, उसी तरह आज भी कई लोग साधु-संत का रूप धरकर अपराध कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि देवभूमि उत्तराखंड में पहचान छिपाकर अपराध करने वालों और धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
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