
नई दिल्ली । पहलगाम हमले(Pahalgam attacks) बाद भारत(India) के ‘ऑपरेशन सिंदूर'(‘Operation Sindoor’)में पाकिस्तान(Pakistan) के कम से कम 100 आतंकवादी(Terrorist) मारे गए हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो और तस्वीरों में देखा जा सकता है कि पाकिस्तानी सेना के अफसर और जवान आतंकियों के जनाजे में शामिल हो रहे हैं। भारतीय सेना ने रविवार को एक लिस्ट भी जारी कर दी जिसमें पाक सेना के उन अधिकारियों के नाम शामिल हैं जो कि पंजाब प्रांत में आतंकियों के जनाजे में पहुंचकरआंसू बहा रहे थे।
इस लिस्ट में लाहोर IV कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह, लाहौर 11वीं इन्फैंट्री बटालियन के मेजर जनरल राव इमरान सरताज, ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर, डॉ. उसमान अनवर, इन्सपेक्टर जनरल ऑफ पंजाब पुलिस, पंजाब प्रांतीय सभा के सदस्य मलिक शोएब अहमद के नाम शामिल हैं। पहलगाम हमले के बाद भारत की सख्त कार्रवाई ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब करके रख दिया है।
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय प्लैटफॉर्म पर कभी मानने को तैयार नहीं होता है कि वह आतंकियों को पनाह देता है। हाला्ंकि उसकी सच्चाई अकसर सामने आ जाती है। आतंकी ठिकानों पर भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को इस कदर मिर्ची लगी थी कि उसने मिसाइल और ड्रोन दागने शुरू कर दिए। भारत ने जब जवाबी कार्रवाई शुरू की तो वह दो दिनों में ही पस्त हो गया और सीजफायर की गुहार करने लगा। डोनाल्ड ट्रंप के दखल के बाद दोनों देशों में सीजफायर डील हो गई है।
आतंकियों के मारे जाने के बाद लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज अब्दुल रऊफ को भी शोक मनाते हुए देखा गया। लाहौर के पास मुरिदके टेरर कैंप पर भारत ने बम बरसाए थे। इसमें कई आतंकी मारे गए थे। रऊफ क अमेरिका ने भी आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया है। वीडियो में यह भी देखा गया कि आतंकियों की ताबूत को पाकिस्तानी झंडे से ढका गया है और पाकिस्तानी सेना के जवानों ने उन्हें कंधा दिया। पाकिस्तान में आतंकियों को जिस तरह से राजकीय सम्मान दिया जा रहा है, उसका भारत ने कड़ा विरोध किया है।
पाकिस्तान ने दावा किया था कि भारत की एयरस्ट्राइक में आम लोग मारे गए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने तस्वीर दिखाते हुए पूछा कि क्या आम लोगों को भी इस तरह से राजकीय सम्मान के साथ दफनाया जा रहा है। बता दें कि भारत ने आतंकियों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया था। इसमें सवाई नाला, सरजाल, मुरिदके,कोटली, कोटली गुलपुर, मेहमूना जोया, भिंबर और बहावलपुर शामिल थे। इनमें से चार पाकिस्तान में और पांच पीओके में थी। मुरिदके में लश्कर का मुख्यालय था और बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का ठिकाना था।
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