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अड़ गए थे विपक्षी राज्य, वोटिंग की आ गई थी नौबत…GST में हुई कटौती की ‘इनसाइड स्टोरी’

September 04, 2025

नई दिल्ली: कहते हैं कि कोई भी बड़ा फैसला अचानक नहीं होता और जीएसटी दरों में की गई हाल की कटौती इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. सूत्रों के मुताबिक, आम जनता (General public) को राहत देने का यह फैसला रातोंरात नहीं लिया गया, बल्कि इसके लिए सरकार ने छह महीने पहले से ही होमवर्क शुरू कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का स्पष्ट निर्देश था कि मध्य वर्ग और गरीब जनता को बड़ी राहत मिलनी चाहिए. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार छह महीने तक अलग-अलग समूहों के साथ बैठकें कर जमीन पर काम किया.

गृह मंत्री अमित शाह ने भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील वस्तुओं पर टैक्स को लेकर कई बैठकें कीं ताकि बाद में कोई विवाद न उठे. पीएम मोदी ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि राज्यों के राजस्व पर कोई नकारात्मक असर न पड़े, ताकि संघीय ढांचे की मजबूती बनी रहे. तमाम होमवर्क पूरा करने के बाद जीएसटी परिषद की बैठक दो दिन के लिए बुलाई गई थी. पीएम मोदी ने लालकिले से जनता को जीसएटी दरों में राहत का ऐलान किया था लिहाजा राहत भी जल्दी देनी थी. ऐसे में जीएसटी परिषद की बैठक बुलाई गई थी. लेकिन विपक्ष के शासन वाले राज्यों को चिंता अपने राजस्व में हो होने वाली कमी से थी.


जानकारी के मुताबिक तीन सितंबर (बुधवार) को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में कुछ राज्यों ने दरों में कटौती का विरोध किया. इसमें पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल और कर्नाटक का विरोध सबसे तेज था. लिहाजा जिस जीएसटी परिषद की बैठक को शाम 7 बजे तक खत्म हो जाना था वो रात के साढे नौ बजे तक चली.

हालांकि विपक्ष के शासन वाले राज्य आख़िरी समय तक हील-हवाला करते रहे. सूत्रों के मुताबिक़ बुधवार को जीएसटी परिषद की बैठक में पंजाब और पश्चिम बंगाल तो बाद में तैयार हो गए पर कर्नाटक और केरल आख़िरी वक़्त तक अड़े रहे. वे चाहते थे कि राज्यों की राजस्व हानि की भरपाई के लिए केंद्र सरकार कोई ठोस आश्वासन दे.

इसी कारण जो बैठक सात बजे खत्म होनी थी, वो लंबी खिंचती गई. विपक्षी राज्य चाहते थे कि यह मसला अगले दिन यानी चार सितंबर तक के लिए टाल दिया जाए. पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जनता को राहत देने का फैसला आज ही होना चाहिए इसके लिए वो रात भर बैठने को तैयार है.

बैठक मे जारी इस गतिरोध से अन्य राज्य ऊब गए. तब छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने कहा कि अगर कर्नाटक और केरल तैयार नहीं हो रहे तो फिर क्यों ना वोटिंग ही करा ली जाए. ग़ौरतलब है कि जीएसटी परिषद में अमूमन आम राय से ही निर्णय होते आए हैं. केवल लॉटरी पर 28% जीएसटी के मुद्दे पर वोटिंग की नौबत आई थी.

चौधरी ने अपनी बात एक बार नहीं बल्कि कई बार कही. अंत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी कहना पड़ा कि अगर सदस्य वोटिंग चाहते हैं तो साफ साफ बताए. तब विपक्षी राज्य सतर्क हो गए के क्योंकि वोटिंग में विरोध करने की बात से राज्य की जनता की नाराजगी झेलने का डर था. तब पश्चिम बंगाल ने दखल दिया और कर्नाटक और केरल को मनाया. इस तरह जीएसटी सुधार पर आम राय बन सकी और बुधवार देर रात को वित्तमंत्री ने फ़ैसले का ऐलान किया.

बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को भरोसा दिया कि किसी भी राज्य के साथ अन्याय नहीं होगा. इसको बेहतर तरीके से समझाने के लिए वित्त मंत्री ने कमरे में बीच मे रखी आयताकार टेबल की ओर इशारा कर कहा कि यहां रखा पैसा केंद्र का भी है और राज्यों का भी. अगर राज्यों को नुक़सान हो रहा है तो केंद्र को भी हो रहा है. लेकिन अभी उद्देश्य आम लोगों को राहत देना है. उन्होंने कहा कि केंद्र के पास अलग से राशि नहीं है बल्कि राज्यों और केंद्र दोनों को मिल कर यह काम पूरा करना है. उन्होंने कहा कि राज्यों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

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