
- सर्दी-जुकाम-खाँसी में दी जाने वाली बेसिक दवाओं की भी कमी-नहीं मिलती मदद
उज्जैन। नगर में संभाग के बड़े अस्पताल हैं जिनमें दवाओं का संकट चल रहा है और जरूरी दवाओं की खरीदी नहीं होने से जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क दवाई नहीं मिल पा रही है। दवाई खरीदी के निर्देश नहीं आने के कारण यह समस्या बनी हुई है। इससे लोग बाहर से महंगी दवाएँ लेने के मजबूर हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग का करोड़ों का बजट है।
मामले में जिम्मेदारों का कहना है कि दवाओं की सप्लाई रुकने की मुख्य वजह एमपी पीएचसीएल में अप्रूवल प्रक्रिया का धीमा पडऩा है। सरकारी अस्पतालों में जरूरी दवाइयों की कमी के कारण आईसीयू, इमरजेंसी और गंभीर बीमारियों के वार्ड में इलाज प्रभावित हो रहा है। उज्जैन की बात करें तो सरकारी अस्पताल में भी मरीजों को कई जरूरी दवाएँ नहीं मिल पा रही हैं। गंभीर बीमारी, एलर्जी, संक्रमण, उल्टी-दस्त या इमरजेंसी उपचार में उपयोग आने वाली दवाएँ मरीजों को महँगे दाम पर अस्पताल के बाहर स्थित मेडिकल स्टोर से खरीद कर लाना पड़ रही हैं। यह स्थिति विशेष रूप से गरीब और ग्रामीण क्षेत्र आने वाले मरीजों के लिए बड़ी परेशानी बन चुकी है। उज्जैन के चरक अस्पताल में 500 प्रकार की दवाएँ उपलब्ध रहनी चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में लगभग 150 दवाएँ पूरी तरह आउट ऑफ स्टॉक हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा कमी गंभीर मरीजों के इलाज में उपयोग होने वाले इंजेक्शन, पेन किलर, एंटीबायोटिक, एलर्जी की बेसिक दवाएं, एनएस 100 एमएल बॉटल की है। जिला अस्पताल में इन दवाओं का स्टॉक ही नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि इमरजेंसी केस में तुरंत दिए जाने वाले कई इंजेक्शन या दवाएँ नहीं होने के कारण उपचार में देरी हो रही है। वहीं, मरीजों का कहना है कि उन्हें बाहर से काफी महंगे दाम पर दवाएँ खरीदना पड़ रही हैं। रेट कॉन्टेक्ट नहीं होने से कई जरूरी दवाओं की खरीदी भी एमपी पीएचसीएल से रुक गई है। इन वजहों से उज्जैन सहित प्रदेश में लगभग सभी जिलों के अस्पतालों में दवाओं का स्टॉक तेजी से खाली होता जा रहा है।
अलग से बजट का है प्रावधान…
दरअसल, एमपी पीएचसीएल से लगभग सभी दवाओं का रेट कॉन्टेक्ट (आरसी) होता है। जिन दवाओं की आरसी नहीं है, उन दवाओं की खरीदी के लिए सभी अस्पतालों के पास 20 प्रतिशत बजट अलग से रहता है। इसके बाद भी दवाओं की खरीदी नहीं हो रही है या अस्पतालों के पास बजट की समस्या है तो इसे लेकर हम जानकारी लेते हैं।