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पद्मश्री से सम्मानित 102 वर्षीय साहित्यकार रामदरश मिश्र का निधन

November 01, 2025

नई दिल्ली। पद्मश्री (Padma Shri) से सम्मानित (awardee) 102 वर्षीय वयोवृद्ध साहित्यकार रामदरश मिश्र (Ramdarsh ​​Mishra) का शुक्रवार की रात दिल्ली में निधन हो गया। वे बढ़ती आयु के साथ आने वाली शारीरिक दिक्कतों का सामना कर रहे थे। उनके निधन से साहित्यजगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। वे जितने समर्थ कवि थे उतने ही समर्थ उपन्यासकार और कहानीकार भी। उनकी लंबी साहित्य-यात्रा समय के कई मोड़ों से गुजरी है और नित्य नूतनता की छवि को प्राप्त होती गई है। किसी वाद के कृत्रिम दबाव में नहीं आये बल्कि उन्होंने अपनी वस्तु और शिल्प दोनों को सहज ही परिवर्तित होने दिया।

15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर के डुमरी गाँव में रामदरश मिश्र का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम रामचन्द्र मिश्र और माता का नाम कँवलपाती मिश्र है। ये तीन भाई स्व. राम अवध मिश्र, रामनवल मिश्र तथा ये स्वयं, जिनमें ये सबसे छोटे थे। प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी-मिडिल स्कूल में की। उस स्कूल से हिंदी और उर्दू के साथ मिडिल उत्तीर्ण कर ‘विशेष योग्यता’ की पढ़ाई के लिए गांव से दस मील दूर ढरसी गांव में गए। वहां पंडित रामगोपाल शुक्ल ‘विशेष योग्यता’ का अध्यापन करते थे, जिसे उत्तीर्ण करने के पश्चात् मिश्र जी ने बरहज से विशारद और साहित्य रत्न की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं।


इसके बाद अंग्रेजी की पढ़ाई भी उन्होंने की और 1945 में मैट्रिक के लिए वाराणसी आए और वहाँ एक प्राइवेट स्कूल में सालभर मैट्रिक की पढ़ाई की। मैट्रिक पास करने के पश्चात ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से जुड़ गये और वहीं से इंटरमीडिएट, हिन्दी में स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट किया।। वहां से इंटरमीडियट, बीए, एमए और पीएचडी का शोधकार्य संपन्न किया। सन् 1956 में सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय, बड़ौदा में प्राध्यापक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। सन् 1958 में ये गुजरात विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गये और आठ वर्ष तक गुजरात में रहने के पश्चात 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय में आ गये। वहाँ से 1970 में प्रोफेसर के रूप में सेवामुक्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद तो आपकी लेखनी और परवान चढ़ी तथा रचना सतत आपका पाथेय बनती गई।

प्रमुख कृतियाँ
रामदरश मिश्र हिन्दी साहित्य संसार के बहुआयामी रचनाकार हैं। उन्होंने गद्य एवं पद्य की लगभग सभी विधाओं में सृजनशीलता का परिचय दिया है और अनूठी रचनाएँ समाज को दी है।

काव्य : पथ के गीत, बैरंग – बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है ?, रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं (गजल संग्रह), बनाया है मैंने ये घर धीरे- धीरे (गजल संग्रह)।

उपन्यास : पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफ़र, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का, एक बचपन यह भी, एक था कलाकार

कहानी संग्रह : खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसंत का एक दिन, इकसठ कहानियाँ, मेरी प्रिय कहानियाँ, अपने लिए, अतीत का विष, चर्चित कहानियाँ, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ, आज का दिन भी, एक कहानी लगातार, फिर कब आएंगे?, अकेला मकान, विदूषक, दिन के साथ, मेरी कथा यात्रा, विरासत, इस बार होली में, चुनी हुई कहानियाँ, संकलित कहानियाँ, लोकप्रिय कहानियाँ, 21 कहानियाँ, नेता की चादर, स्वप्नभंग, आखिरी चिट्ठी, कुछ यादें बचपन की (बाल साहित्य), इस बार होली में,जिन्दगी लौट आई थी, एक भटकी हुई मुलाकात, सपनों भरे दिन, अभिशप्त लोक, अकेली वह

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