
नई दिल्ली । पाकिस्तान(Pakistan) के लिए जासूसी के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार(Arrested from Delhi) किए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force) के एएसआई मोती राम जाट(ASI Moti Ram Jat) से पूछताछ में सुरक्षा एजेंसियों को कई अहम बातें पता चली हैं। पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी टीवी जर्नलिस्ट बनकर उसे जासूसी के जाल में फंसाकर भारत से जुड़ी अहम जानकारी हासिल कर रहे थे। एनआईए को मामला सौंपे जाने से पहले केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी जाट से पूछताछ की थी।
रिपोर्ट के अनुसार, मोती राम जाट ने कथित तौर पर पिछले दो सालों में पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ कई अहम जानकारी शेयर की हैं। इनमें पहलगाम आतंकी हमले के कुछ घंटों बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जम्मू-कश्मीर दौरा, 50 पर्यटन स्थलों का बंद होना, सीआरपीएफ जवानों की आवाजाही और संख्या तथा आतंकियों के संदिग्ध ठिकाने ये कुछ प्रमुख जानकारियां हैं। पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने खुद को टीवी पत्रकार बताकर उसे 3,500 रुपये प्रति माह और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 12,000 रुपये अतिरिक्त दिए थे।
एनआईए ने इस हफ्ते की शुरुआत में सीआरपीएफ के एएसआई मोती राम जाट को दिल्ली से गिरफ्तार किया है और उससे पूछताछ कर रही है। एनआईए का आरोप है कि उसने पाकिस्तानी एजेंटों के साथ खुफिया जानकारी साझा की और वह उनसे पैसे ले रहा था। वह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में सीआरपीएफ बटालियन में तैनात था और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पांच दिन पहले उसका ट्रांसफर दिल्ली कर दिया गया था।
सीआरपीएफ के एक सूत्र ने बताया, ”कथित तौर पर एक महिला खुद को चंडीगढ़ स्थित एक टीवी न्यूज चैनल की न्यूज रिपोर्टर बताकर एएसआई मोती राम जाट से मिली थी, जिसने उनसे कुछ जानकारी साझा करने का अनुरोध किया था। उस महिला ने उन्हें कुछ मैसेज और फोन कॉल्स और वीडियो कॉल भी किए थे। इसके बाद मोती राम जाट ने कथित तौर पर उसके साथ गोपनीय दस्तावेज शेयर करना शुरू कर दिया। दो-तीन महीने बाद एक व्यक्ति जो पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी था, उसने भी उसी न्यूज चैनल का पत्रकार बनकर उससे बातें बात करने लगा।”
केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और सीआरपीएफ के अधिकारियों द्वारा जब मोती राम जाट के फोन की जांच की गई तो पता चला कि उसने कोई भी मैसेज डिलीट नहीं किया था।
सूत्र ने दावा किया, “जाट ने कथित तौर पर सुरक्षा बलों की तैनाती और उनकी मूवमेंट की जानकारी, खुफिया एजेंसियों के मल्टी-एजेंसी सेंटर (एमएसी) की रिपोर्ट और कभी-कभी आतंकी गतिविधियों के स्थानों से संबंधित कई गोपनीय दस्तावेज उपलब्ध कराए।”
जाट ने अपनी कुछ बातचीत में अर्धसैनिक बलों की कुछ न्यूज क्लिप शेयर की थी, लेकिन दूसरी तरफ के लोगों ने उससे कहा था कि वो ऐसी जानकारी शेयर न करे जो पहले से ही पब्लिक डोमेन में है।
सूत्र ने दावा किया कि “एक या दो महीने के बाद उन्होंने उसे हर माह 4 तारीख को 3500 रुपये देना शुरू कर दिया और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 12,000 रुपये भी दिए। उसे यह रकम उसके और उसकी पत्नी के खातों में मिली।”
सूत्रों ने बताया कि मोती राम जाट की गतिविधियों पर कई हफ्ते से नजर रखी जा रही थी और पहलगाम आतंकी हमले से 5 दिन पहले ही उसे दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था।
सूत्र ने बताया, “हालांकि पहलगाम आतंकी हमले के बाद अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे की जानकारी न्यूज चैनलों पर मौजूद थी, लेकिन उसने कथित तौर पर दिल्ली आने के बाद भी इसे उनके साथ शेयर किया। उन्होंने यह भी बताया कि सुरक्षा कारणों से 50 टूरिस्ट स्पॉट बंद कर दिए गए हैं।”
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