
नई दिल्ली । उत्तर भारत(North India) में सर्दियों की शुरुआत होते ही वायु प्रदूषण(air pollution) की समस्या फिर से उभर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर(Delhi-NCR) सहित पूरे क्षेत्र की खराब हवा(bad air) का एक बड़ा कारण पड़ोसी देश पाकिस्तान भी है। पाक के पंजाब प्रांत में बड़े पैमाने पर खेतों में आग लगाने के मामले बढ़े हैं। सैटेलाइट डेटा के अनुसार, 8 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक पाकिस्तानी पंजाब में 1,161 आग जलाने यानी पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि भारतीय पंजाब में यह संख्या महज 47 रही। हवा के मौजूदा प्रवाह के कारण यह धुआं उत्तर भारत की ओर आ रहा है, जिससे प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है।
उत्तरी भारत में तेजी से गिरती वायु गुणवत्ता का पूरा दोष केवल पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में जलती पराली पर नहीं डाला जा सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के खेतों से उठता धुआं भी भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में प्राप्त सैटेलाइट तस्वीरों ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान के सीमावर्ती जिलों में बड़े पैमाने पर पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं। इन इलाकों में किसान धान की फसल कटने के बाद खेतों को साफ करने के लिए अवशेष जला रहे हैं। पिछले साल लाहौर ने अब तक का सबसे खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दर्ज किया था और इसके लिए पाकिस्तान ने भारतीय पंजाब के किसानों को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन इस बार तस्वीर कुछ और है।
पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में पर्यावरणीय स्वास्थ्य के प्रोफेसर और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन क्लाइमेट चेंज एंड एयर पॉल्यूशन-रिलेटेड इलनेस’ के नोडल फैकल्टी ऑफिसर डॉ. रवींद्र खैवाल ने बताया कि हालिया सैटेलाइट विश्लेषण ने भारत और पाकिस्तान के पंजाब प्रांतों के बीच आग की घटनाओं में बड़ा अंतर दिखाया है।
डॉ. खैवाल ने कहा, “8 से 15 अक्टूबर के बीच भारतीय पंजाब में जहां मात्र 47 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं, वहीं पाकिस्तानी पंजाब में 1,161 आग की घटनाएं दर्ज की गईं। यह अंतर बेहद चौंकाने वाला है।” उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के कसूर, ओकारा और पाकपत्तन जिले पराली जलाने के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे हैं, जिनमें अकेले ओकारा में पूरे प्रांत की 36.3 प्रतिशत घटनाएं दर्ज की गईं।
हवा के रुख से धुआं भारत की ओर
डॉ. खैवाल ने आगे कहा कि इस समय उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बहने वाली हवाएं पाकिस्तान के पंजाब से उठे धुएं और प्रदूषक कणों को भारत के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों तक ला सकती हैं। इससे सीमापार वायु प्रदूषण की समस्या और गहरी हो रही है। उन्होंने बताया कि इस समय हवा की गति 6-12 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच है। शाम और रात के समय धुंध तथा हल्का कोहरा बनने से स्मॉग की स्थिति और बिगड़ रही है। पंजाब के मैदानी इलाकों की समतल भौगोलिक स्थिति प्रदूषकों को सीमा पार आने से रोक नहीं पाती।
सीमा पार आग पर भारत का नियंत्रण नहीं
दिल्ली स्थित आयोग फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस घटनाक्रम की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान की सीमा के पास आग की घटनाएं देख रहे हैं। दुर्भाग्यवश, हमारी भौगोलिक सीमा के बाहर होने वाली गतिविधियों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।”
भारतीय पंजाब में आग की घटनाएं घटीं, लेकिन प्रदूषण जस का तस
इस बीच, पंजाब में तैनात 22 वैज्ञानिकों की टीम ने पाया है कि राज्य में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, फिर भी वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं हुआ। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तानी किसान रात या बादलों के समय पराली जला रहे हैं, जिससे सैटेलाइट सिस्टम उन्हें पकड़ नहीं पा रहा। दोपहर की सैटेलाइट तस्वीरों में पाकिस्तान से उठता घना धुआं भारत की ओर बहता हुआ साफ दिखाई दिया।
सरकारी प्रतिक्रिया का इंतजार
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के एक अधिकारी ने बताया कि इस विषय पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव बसंत गर्ग टिप्पणी कर सकते हैं, लेकिन उनसे बार-बार संपर्क करने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। गुरुवार को पंजाब में 12 नई पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं। जलंधर का AQI 125 (मध्यम श्रेणी) और लुधियाना का 106 दर्ज हुआ। पटियाला में PM10 स्तर 104 तक पहुंच गया, जिससे फेफड़ों से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
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