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झूठ परोसने से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान, ऑपरेशन सिंदूर को अपनी किताबों में जोड़ा, गढ़ी झूठी कहानी

September 25, 2025

नई दिल्‍ली । भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच अब तक कुल जमा चार युद्ध हुए हैं। इन चारों युद्धों (Wars) में भारत ने निर्णायक जीत हासिल की है। लेकिन पाकिस्तान ने अपनी आवाम को भ्रम में रखने के लिए इन युद्धों की पूरी कहानी को ही बदल दिया। आज भी पाकिस्तानी समाज उनकी सरकारों द्वारा फैलाए गए इस भ्रम में ही जी रहा है। हाल ही में इसका ताजा उदाहरण भी देखने को मिला। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) और उसके बाद दोनों देशों के बीच हुए तनाव को पाकिस्तान ने अपनी स्कूली किताबों में शामिल किया है। हालांकि पाकिस्तान यहां भी अपनी जनता को झूठ परोसने से बाज नहीं आया, उसने इस संघर्ष को भी जनता के सामने अपनी जीत बताना शुरू कर दिया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी प्रशासन द्वारा संशोधित किए गए इस पाठ्यक्रम में पाकिस्तान के नुकसान को पूरी तरह से हटा दिया गया। इतना ही नहीं उसने भारत के ऊपर झूठे हमले की कहानी को भी शामिल कर लिया। नए पाकिस्तानी पाठ्यक्रम में यह दावा किया गया, “दोनों देशों के बीच यह तनाव 6 मई को शुरू हुआ था। इस दिन भारत ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का आरोप लगाककर बिना किसी उकसावे के पाकिस्तान पर लगाकर हमला कर दिया।”

ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की सच्चाई छिपाई
पाकिस्तानी पाठ्यक्रम में इस सच्चाई को बड़े ही शातिर तरीके से छिपा लिया गया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने भारत में घुसकर 26 भारतीयों को उनका धर्म पूछ कर मार डाला। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी कैंपों को निशाना बनाया। इनमें हिजबुल, जैश और लश्कर ए तैयबा के आतंकी ठिकाने शामिल थे। इसके बाद भारत की तरफ से यह साफ कर दिया गया था कि इसमें न तो किसी नागरिक ठिकानों को निशाना बनाया गया और न ही किसी सैन्य ठिकाने को।


नागरिकों को बनाया था पाकिस्तान में निशाना
पाकिस्तानी पाठ्यक्रम में आगे दावा किया गया है कि पाकिस्तानी सेना ने भारत की इस कार्रवाई का तुरंत जवाब दिया। पूरी जिम्मेदारी के साथ केवल भारतीय सैन्य चौकियों को ही निशाना बनाया। पाकिस्तान का यह दावा पूरी तरह से गलत है क्योंकि हकीकत में पाकिस्तान ने अमृतसर, जम्मू, श्रीनगर और दो दर्जन से ज्यादा नागरिक ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए, इसमें कई नागरिक भी घायल हुए। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को खत्म कर दिया। उनके मुख्यालय-9 को पूरी तरह से नेस्तेनाबूद कर दिया और सियालकोट और यहाँ तक कि इस्लामाबाद के अंदरूनी इलाकों में भी हमले किए।

खुद के नुकसान को सामने होने पर भी नकारा
पाकिस्तान प्रशासन अपनी जनता को झूठ की घुट्टी पिलाने में यहीं नहीं रुका। उसका सबसे बड़ा झूठ यह लिखा कि पाकिस्तानी सेना के ‘ऑपरेशन बनयान-उम-मरसूस’ में मुनीर सेना ने 26 भारतीय ठिकानों को नष्ट कर दिया। पाकिस्तान के इस दावे की पोल स्वतंत्र रूप से काम करने वाली एजेंसियों और सैटेलाइट इमेजों ने भी खोली है। इनके जरिए बताया गया भारत का एयर डिफेंस इतना तगड़ा था कि पाकिस्तान का कोई भी रॉकेट या मिसाइल भारत में ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकी। इन्हीं सैटेलाइट इमेजों ने पाकिस्तान की हकीकत बयां करते हुए बताया कि भारतीय हमलों में पाकिस्तान के मुरीद, नूर खान, रफीकी, सरगोधा, चकलाला और रहीम यार खान स्थित प्रमुख पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। रहीम यार खान बेस का नुकसान तो इतना ज्यादा है कि पाकिस्तान उसे सितंबर तक भी शुरू नहीं कर पाया है।

आदमपुर एयरबेस का भी झूठ
इसी तरह पाकिस्तान की तरफ से एक दावा और किया गया कि उसने आदमपुर एयरबेस पर भारत के एक मिग-29 और एस-400 को नष्ट कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन के तुरंत बाद ही आदमपुर पहुंचकर एस-400 के पास तस्वीर खिंचवाकर पाकिस्तानी दावों को झूठा साबित कर दिया था।

पाकिस्तान की तरफ से इस संघर्ष के खत्म होने को लेकर भी एक नई झूठी कहानी बनाई गई है। पाकिस्तानी पाठ्यक्रम के मुताबिक संघर्ष में अपना नुकसान होता देख भारत ने पाकिस्तान से युद्ध बंद करने के लिए कहा। इसके बाद पाकिस्तान ने अमेरिका के कहने पर इस युद्ध में शांति प्रस्ताव दिया। पाकिस्तान की यह कहानी किसी बच्चे के मनोरम कहानी की तरह लगती है, जो युद्ध तो जीत नहीं पाया लेकिन ख्यालों में ही अपने जीत के सपने देख रहा है। हकीकत यह थी की भारत के हमलों से परेशान पाकिस्तान ने अमेरिका से युद्ध बंद करवाने की गुहार लगाई। अमेरिका ने भारत से कहा, तो नई दिल्ली की तरफ से साफ कर दिया गया कि दो देशों के बीच में तीसरे देश की जरूरत नहीं है। अगर पाकिस्तान को युद्ध विराम चाहिए तो वह खुद आकर कहे। इसके बाद पाकिस्तानी डीजीएमओ ने अपने भारतीय समकक्ष को फोन लगाया। इसके बाद जाकर युद्ध विराम हुआ।

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