
नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) और पाक PM शहबाज शरीफ (PM Shahbaz Sharif) की वाइट हाउस (White House) में मुलाकात के बाद से पाकिस्तान (Pakistan) फूले नहीं समा रहा है। पाकिस्तान, जो भीख का कटोरा लिए कभी चीन (China) तो कभी सऊदी अरब (Saudi Arabia) पहुंच जाता है, अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मक्खन लगाने में जुटा है। पाक को यह गलतफहमी भी हो रही है कि ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट कर वह अमेरिका को अपने पक्ष में कर लेगा। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक पाक के सपने जल्द ही टूट जाएंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत जल्द अमेरिका का एक बार फिर पाक से मोह भंग हो जाएगा।
पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने शुक्रवार को मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान से निराश हो जाएंगे और सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकालेंगे और मौजूदा संबंधों में जो गर्मजोशी दिखाई दे रही है, वह जल्द ही फीकी पड़ जाएगी। बिसारिया ने इस बात पर जोर दिया कि चीन ही पाकिस्तान के असली गॉडफादर है।
पूर्व उच्चायुक्त ने आगे कहा कि पाकिस्तान वर्तमान में चीन और अमेरिका दोनों के साथ संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन समय के साथ इस संतुलन को बनाए रखना और भी मुश्किल होता जा रहा है। बिसारिया ने चेतावनी दी, “फिलहाल, वो दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान चीन और अमेरिका के हितों के बीच संतुलन नहीं बना पाएगा और यह बात अमेरिका को नागवार गुजरेगी।
अजय बिसारिया ने आगे कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिका को क्रिप्टोकरेंसी, महत्वपूर्ण खनिजों और पेट्रोलियम जैसे क्षेत्रों में सहयोग जैसे कुछ प्रस्ताव जरूर दिए हैं, लेकिन यह सबकुछ चीन की निगरानी में हो रहा है। पूर्व राजनयिक ने कहा, “तो यह छोटा सा पैकेज और ‘हम आपको नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करते हैं’ जैसी चीजों का इस्तेमाल आसिम मुनीर करते हैं। हालांकि ये कदम चीन की निगरानी में उठाए जा रहे हैं।”
वहीं बिसारिया का समर्थन करते हुए, एक अन्य वरिष्ठ भारतीय राजनयिक, जावेद अशरफ ने कहा है कि अमेरिका और पाकिस्तान दशकों से दुनिया को इस्लामी कट्टरवाद का तोहफा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में हर नया अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान के बहकावे में आता है, और अंत में निराशा ही हाथ लगती है। उन्होंने कहा कि यही पैटर्न बुश और ओबामा के समय भी देखा गया था, और अब ट्रंप के साथ भी दोहराया जा सकता है।
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