इस्लामाबाद। कंगाली से जूझ रहा पाकिस्तान (Pakistan) दुनिया की मदद के भरोसे चल रहा है। उसने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से भारी-भरकम 7 अरब डॉलर (करीब 58,100 करोड़ रुपये) का लोन लिया है, बदले में उसे कुछ लक्ष्य हासिल करने थे। लेकिन पाकिस्तान उन वादों को भी पूरा नहीं कर पाया। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान पांच में से तीन लक्ष्यों को हासिल से चूक गया। इसके बावजूद उसने आईएमएफ से अगली किश्त की उम्मीद बरकरार रखी है। आईएमएफ सितंबर महीने में समीक्षा करेगा।
किन लक्ष्य चूका पाकिस्तान?
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाक वित्त मंत्रालय द्वारा जारी ‘फिस्कल ऑपरेशन्स समरी’ में यह जानकारी सामने आई है। पाकिस्तान IMF के जिन तीन प्रमुख लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहा, उनमें पहला था प्रांतों द्वारा 1.2 ट्रिलियन की बचत करना, जो बढ़ते खर्चों के कारण संभव नहीं हो सका। दूसरा, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) द्वारा तय किए गए 12.3 ट्रिलियन के कुल राजस्व का लक्ष्य हासिल न कर पाना। इसके अलावा पाकिस्तान खुदरा व्यापारियों से टैक्स जुटाने के लिए शुरू की गई ‘ताजिर दोस्त स्कीम’ के तहत 50 अरब की वसूली का लक्ष्य भी पूरी तरह से चूक गया।
क्या संकेत
पाकिस्तानी सरकार की रिपोर्ट कहती है कि आईएमएफ के वादे पूरे न कर पाने के बावजूद उसे कुछ अच्छे संकेत भी मिले हैं। देश ने 2.4 ट्रिलियन के लक्ष्य के मुकाबले 2.7 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपयों का प्राइमरी बजट सरप्लस हासिल किया है, यह लगातार दूसरा साल है और 24 वर्षों में सबसे अधिक। साथ ही, कुल वित्तीय घाटा GDP के 5.4% तक सीमित रहा, जो कि 6.2 ट्रिलियन है।
पाक के लिए क्या मुश्किल
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने पूरा साल खर्चों पर नियंत्रण रखने की कोशिश की, लेकिन फेडरल सरकार के नियंत्रण से बाहर प्रांतीय सरकारों ने IMF के वादे के अनुसार 1.2 ट्रिलियन की बचत नहीं की। वे सिर्फ 921 अरब रुपये ही बचा सके, यानी 280 अरब का लक्ष्य चूक गया।
अगली किश्त पर क्या असर?
रिपोर्ट के हवाले से पाकिस्तान सरकार उम्मीद कर रही है कि कुछ लक्ष्य पूरे नहीं होने के बावजूद उसे IMF की अगली समीक्षा में गंभीर अड़चनें नहीं आएंगी। समीक्षा सितंबर में हो सकती है और तब तक पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की अगली किश्त मिलने की उम्मीद है।
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